हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भी इसका कड़ा संज्ञान लिया है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मंसूर अहमद मीर और न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की खंडपीठ ने इस संबंध में अखबारों में छपी खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इन पर जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई की। अदालत ने पाया कि शहर में प्रदूषित पानी की आपूर्ति हो रही है। अदालत ने इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, प्रधान सचिव सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य, प्रधान सचिव स्वास्थ्य, इंजीनियर इन चीफ आईपीएच और नगर निगम शिमला के आयुक्त को कल पांच जनवरी को अदालत में पेश होने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि अश्वनी खड्डा से राजधानी शिमला की लगभग एक तिहाई आबादी को पानी की आपूर्ति होती है। इस पानी के स्रोत के हाल ही में लिए गए सैंपल में पानी के बुरी तरह प्रदूषित होने की बात सामने आई है। जांच में ये भी पता चला सीवरेज का पाइप फट जाने से वह पानी अश्विनी खड्ड से आने वाले पीने के पानी में मिल रहा है। इस कारण शहर के कई इलाकों में लोग लगातार पीलिया रोग की चपेट में हैं और अन्य जल जनित रोगों का भी उन्हें सामना करना पड़ रहा है।