प्रसिद्ध लेखिका शोभा डे ने जब राज्य सरकार के प्राइम टाइम में मराठी फिल्में दिखाने का विरोध करते हुए यह ट्वीट किया, मुझे मराठी फिल्में पसंद है। मुझे तय करने दीजिए कि मैं उन्हें कब और कहां देंखू, देवेंद्र फणनवीस। ये कुछ और नहीं दादागिरी है।
सांस्कृतिक जगत में इस तरह की असहिषुणता लगातार बढ़ती जा रही है। इससे विरोध में उठने वाले स्वरों को कुंद करने की कवायद के तौइस ट्वीट पर हंगामा इस कदर मचा मानो किसी ने मराठी संस्कृति पर हमला बोला हो। शिवसेना ने शोभा डे के घर के बाहर गुरुवार को प्रदर्शन किया। शिवसेना का कहना है कि शोभा ने मराठी खान-पान और यहां की संस्कृति का मजाक उड़ाया है। प्रदर्शनकारी अपने साथ वड़ा पाव लेकर आए थे।
दिलचस्प बात यह है कि शोभा डे ने महाराष्ट्र सरकार के मल्टिप्लेक्सेज़ में प्राइम टाइम पर मराठी फिल्में दिखाना अनिवार्य करने के फैसले के विरोध में ट्वीट किया था। अपने ट्वीट में उन्होंने मराठी संस्कृति पर कुछ नहीं खाली अनिवार्य किए जाने का विरोध किया था।
इसके जवाब में शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखा गया है, 'आपने राज्य सरकार के निर्णय को दादागिरी करार दिया है। हम आपको बताना चाहते हैं कि अगर छत्रपति शिवाजी ने अपने समय में और बालासाहब ठाकरे ने 'दादागिरी' नहीं की होती, तो आपके पूर्वज और बच्चे पाकिस्तान में पैदा हुए होते। आप पेज-3 पार्टियों में बुर्का पहनकर शामिल होतीं। आपने मराठी भूमि के लिए बड़ी सेवा की है, जिसमें आप पैदा हुईं । महाराष्ट्र के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह की टिप्पणियां एक मराठी महिला ने कीं।'
मराठी फिल्मों पर सरकार के फैसले पर टिप्पणी करते हुए शोभा ने एक और ट्वीट किया था। इसमें लिखा था, 'अब मुंबई के मल्टिप्लेक्सेज़ में पॉपकॉर्न नहीं मिलेंगे? सिर्फ दही मिसल और वड़ा पाव मिलेगा। प्राइम टाइम में मराठी मूवीज़ के साथ सही कॉम्बिनेशन होगा।' शिवसेना ने इसे मराठी संस्कृति का अपमान बताया है। अपने मुखपत्र सामना में शोभा को निशाने पर लेने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके घर के बाहर नारेबाजी भी की।
इससे पहले भी अलग मुद्दों पर कई सेलिब्रेटी शिवसेना, भाजपा आदि के निशाने पर आ चुके है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा गौ-मांस पर प्रतिबंध लगाए जाने पर मशहूर अभिनेता ऋषि कपूर द्वारा विरोध किए जाने पर भी हंगामा हुआ था। करन जौहर के शो पर भी बवाल मचा था और राज्य सरकार ने कड़ाई की थी।