बैंक तय साप्ताहिक सीमा से कम नकदी दे रहे थे। वहीं करेंसी के अभाव में ज्यादातर एटीएम काम नहीं कर रहे थे। बैंकाें तथा एटीएम के बाहर लंबी से छोटी कतारें लगी थीं। कुुछ स्थानाें स्यूरी, वडाला, घाटकोपर, ठाणे तथा दहीसार में बैंक खुलने से पहले ही बाहर लंबी लाइनें लग गई थीं।
कांजुरमर्ग में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत आशीष बनसोड़े ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि मैं अपनी जिंदगी में इतना परेशान होने की कभी उम्मीद नहीं करता था। मुझे हर दिन या तो बैंक या एटीएम की लाइन में लगना पड़ता है। इससे कामकाजी वर्ग की उत्पादकता प्रभावित हो रही है, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेा।
कुर्ला के कृत्रिम आभूषणाें के कारोबारी दीपक जैन ने कहा, मैं एक राष्टीयकृत बैंक में 40,000 रुपये निकलवाने गया। लेकिन मुझे सिर्फ 15,000 रुपये ही दिए गए, जबकि चालू खाते से निकासी की साप्ताहिक सीमा 50,000 रुपये है। वहीं बचत बैंक खाताधारकाें को 24,000 रुपये की सीमा पर सिर्फ 5,000 से 7,000 रुपये दिए जा रहे हैं।
इस बीच, दक्षिण मुंबई में जनरल पोस्ट आफिस से पैसे निकालने आए वरिष्ठ नागरिक हजारी लाल कोठारी व्यवस्था से संतुष्ट नजर आए। उन्हाेंने कहा कि बैंकिंग करने के लिए डाकघर सबसे बेहतर स्थान है।
हाल के समय में आॅनलाइन धोखाधड़ी को लेकर मीडिया में काफी चर्चा है। उपनगर अंधेरी में इवेंट प्रबंधन कंपनी के भागीदार सोनू शुक्ला ने कहा कि अब आॅनलाइन धोखाधड़ी के मामले सामने आ रहे हैं। पीओएस या एटीएम में कार्ड स्वाइप को क्लोन किया जा सकता है। अब समय आ गया है जबकि सरकार को लोगों का विश्वास बहाल करने के लिए इस दिशा में कदम उठाना चाहिए।
हालांकि, कुछ लोगाें ने नोटबंदी को आज का दर्द तथा कल का फायदा भी कहा है। कांजुरमर्ग के रीयल एस्टेट एजेंट ने कहा कि अभी लोगाें को परेशानी हो रही है, लेकिन एटीएम के बाहर लाइनें कम होने लगी हैं। बाद में हम देखेंगे कि इस कदम से कालाधन अर्थव्यवस्था से बाहर हो गया है। भाषा एजेंसी