हरियाणा में दलित उत्पीड़न का यह कोई पहला मामला नहीं है। वर्ष 2011 में मिर्चपुर गांव में भी बुजुर्ग पिता और अपाहिज बेटी को गांव के दबंगों ने जिंदा जला दिया था। कुत्ते के काटने से शुरू हुए विवाद ने दलितों को उनके घर-गांव से निकलने पर मजबूर कर दिया। मिर्चपुर मं दबंगों का इतना खौफ है कि ये दलित आज तक अपने गांव नहीं लौटे हैं। वर्ष 2014 में हिसार जिले के भगाणा गांव में दबंग समुदाय के पांच लड़कों ने चार दलित लड़कियों का अपहरण कर उनसे बलात्कार किया। भगाणा के दलितों का उबाल अभी तक ठंडा नहीं हुआ है। हाल ही में इन दलित परिवारों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धर्म परिवर्तन करते हुए मुस्लिम धर्म अपना लिया है। वर्ष 2005 में गोहाना में 50 दलितों के घर जला दिए गए थे। बहुचर्चित दुलीना हत्याकांड में गांव दुलीना में पांच दलितों की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई। वर्ष 2002 में गौकशी करने के शक पर इन दलितों की हत्या की गई थी। हाल ही में हिसार के दाबड़ा गांव में दलित लड़की से हुआ बलात्कार के मामले ने भी काफी तूल पकड़ा। कैथल के हरसौला गांव में दलित बस्ती को आग लगा दी गई थी।
हर मामले के बाद फैक्ट फाइंडिंग टीम अब सोनपड़ा गांव का भी दौरा करने जा रही है। ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क के हरियाणा से जुड़े एडवोकेट रजत कलसन बताते हैं ‘दलित और मुसलमान निशाने पर हैं। दबंगों को अब लग रहा है कि उनकी सरकार है।’ कलसन के अनुसार सोनपेड़ा गांव के पीड़ित दलित परिवार को आग के हवाले इसलिए किया गया क्योंकि बीते साल सवर्ण जाति के लोगों में से चार लोगों की हत्या हो गई थी, जिसका शक इन दलितों पर था। कलसन के अनुसार आज सुबह चार बजे दबंगों ने पहले इस परिवार की पिटाई की फिर खिड़की से पैट्रोल डालकर इनका घर फूंक दिया गया। बताया जा रहा है कि सवर्ण समुदाय के लोग ठाकुर समुदाय से और दलित जाटव समुदाय से हैं।