शिकायत वापस लेने के लिए पीड़िता पर कथित तौर पर दबाव बनाने को लेकर थम्पू से इस्तीफे की मांग की जा रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस पर उनको पूरा भरोसा है। साथ ही उन्होंने न्यायेतर दबाव की आलोचना की। थम्पू ने कहा, अगर मैं संस्थान के लिए शर्मिंदगी का कारण हूं और यह बात साबित होती है तो उसी वक्त मैं इस्तीफा दे दूंगा। वर्ष 2008 में कॉलेज का प्रिंसिपल बनने के बाद से ही वह विवादों में हैं।
इस मुद्दे पर काफी संख्या में छात्रों, शिक्षकों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने उनके इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनों के बारे में थम्पू ने कहा, मैं खुलकर बोलना चाहता हूं। इस मुद्दे पर न्यायेतर दबाव बनाने की क्या जरूरत है? परिसर की शांति को भंग करने के लिए दूसरे अन्य संगठनों को लाने की क्या जरूरत है? उन्होंने कहा, दिल्ली पुलिस की ईमानदारी पर मुझे पूरा भरोसा है लेकिन मुझे लगता है कि शिकायतकर्ता और उसके साथ काम कर रही ताकतों को विश्वास नहीं है।
शोध की छात्रा ने आरोप लगाए कि कॉलेज के जिस प्रोफेसर के मार्गदर्शन में वह शोध कर रही है उसने उसके साथ छेड़छाड़ की और थम्पू ने उस प्रोफेसर को बचाने का प्रयास किया। पीड़िता ने पिछले हफ्ते पुलिस से संपर्क कर चार रिकॉर्डिंग सौंपे और दावा किया कि प्रिंसिपल के साथ मुलाकात के दौरान ये रिकॉर्डिंग की गई। आरोप है कि इस रिकॉर्डिंग के दौरान थम्पू ने शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया। मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए थम्पू ने रविवार को दावा किया कि कॉलेज के कुछ तत्व पीड़िता का इस्तेमाल उनके खिलाफ कर रहे हैं। बहरहाल उन्होंने इन लोगों के नामों का खुलासा नहीं किया। उन्होंने यही भी कहा था कि शिकायतकर्ता द्वारा सार्वजनिक किए गए रिकॉर्डिंग में शरारतपूर्ण संपादन किया गया है और फोरेंसिक जांच से ही शंकाओं का निवारण होगा। थम्पू के इस्तीफे के अलावा प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि पीडि़ता के शोध पर्यवेक्षक को तुरंत बदला जाए ताकि मामले की जांच होने तक उसकी पीएचडी में कोई बाधा नहीं आए। संबंधित शोध पर्यवेक्षक की गिरफ्तारी पर फिलहाल अदालत ने रोक लगा रखी है।