उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) ने आजम खां का बचाव करते हुए राज्यपाल पर पलटवार किया और तल्ख लहजे में कहा कि खां की प्रतिभा और योग्यता पर सवाल उठाना अनुचित है और सांप्रदायिकता के सहारे अपनी सियासी रोटियां सेंकने वाली ताकतें उनके चरित्र हनन में जुटी हैं। सपा के प्रान्तीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने शनिवार को लखनउ मे कहा, सपा सरकार की बढ़ती लोकप्रियता से डरकर कुछ तत्व उसकी छवि को बिगाड़ने में लग गए हैं। वह एक मंत्री को निशाना बनाकर अपनी घटिया मानसिकता का प्रदर्शन कर रहे हैं। पहले कुछ लोगों ने मंत्री गायत्री प्रजापति को लेकर अनर्गल बयानबाजी की और अब आजम खां को आलोचना का शिकार बनाया जा रहा है। चौधरी ने कहा कि खां के संसदीय कौशल की प्रशंसा विधानसभा में विपक्ष के नेता भी करते हैं। उनकी प्रतिभा और योग्यता पर सवाल उठाना किसी भी तरह उचित नहीं है।
बता दें कि प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने संसदीय कार्यमंत्री मोहम्मद आजम खां द्वारा विधानसभा में अपने प्रति की गई टिप्पणी को परखने के लिए मांगी गई सामग्री के अवलोकन के बाद विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय को कल लिखे पत्र में संसदीय कार्य मंत्री के तौर पर खां की योग्यता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इस बारे में उन्हें मुख्यमंत्री से विचार करना पड़ेगा। खां ने गत आठ मार्च को विधानसभा में कहा था कि सदन से पारित किए जाने के बाद भी राज्यपाल नगर निगम संशोधन विधेयक को मंजूरी नहीं दे रहे है। राज्यपाल ने जिस तरीके से साल भर से इस विधेयक को रोक रखा है, उससे ऐसा लगता है कि वे किसी दल विशेष के प्रभाव में काम कर रहे हैं।
सदन में अपने बारे में आजम खां द्वारा कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी को गंभीरता से लेते हुए नाईक ने विधानसभा अध्यक्ष से इस संबंध में असंपादित सीडी और रिकार्डिग की प्रतियां उपलब्ध कराने को कहा था, जो उन्हें 15 मार्च को उपलब्ध कराई गई थीं। इस सामग्री का अवलोकन करने के बाद राज्यपाल ने उन्हें लिखे पत्र में कहा प्राप्त असंपादित एवं संपादित मुद्रित प्रति के अवलोकन से स्पष्ट है कि संसदीय कार्य मंत्री आजम खां द्वारा आठ मार्च 2016 को विधानसभा में राज्यपाल के प्रति की गई लगभग 60 पंक्ति की टिप्पणी में से 20 पंक्तियां हटा दी गई हैं। नाईक ने पत्र में कहा कि विधानसभा की कार्यवाही से संसदीय कार्यमंत्री के वक्तव्य की 33 प्रतिशत पंक्तियां हटाना यह दर्शाता है कि उनकी भाषा विधानसभा की गरिमा, मर्यादा और परंपरा के अनुकूल नहीं है। सदन में संसदीय कार्य मंत्री का वक्तव्य संसदीय कार्य मंत्री के रूप में उनकी योग्यता पर प्रश्न चिन्ह के समान है। इस विषय पर मुख्यमंत्री जी से मुझे विचार करना पड़ेगा।