झारखंड की 85 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन का सपना सच होने के बाद तीन दशक से जारी अपना ‘मौन व्रत’ तोड़ देंगी। उनके परिवार ने दावा किया कि 1992 में जिस दिन बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था, उसी दिन सरस्वती देवी ने प्रतिज्ञा की थी कि वह इसे तभी तोड़ेंगी जब राम मंदिर का उद्घाटन होगा।
मंदिर का उद्घाटन देखने के लिए धनबाद निवासी सरस्वती देवी सोमवार रात ट्रेन से उत्तर प्रदेश के अयोध्या के लिए रवाना हुईं। देवी को अयोध्या में ‘मौनी माता’ के नाम से जाना जाता है। वह सांकेतिक भाषा के माध्यम से परिवार के सदस्यों के साथ संवाद करती हैं। वह लिखकर भी लोगों से बात करती हैं लेकिन जटिल वाक्य लिखती हैं।
उन्होंने ‘मौन व्रत’ से कुछ समय का विराम लिया था और 2020 तक हर दिन दोपहर में एक घंटे बोलती थीं। लेकिन जिस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंदिर की नींव रखी उस दिन से उन्होंने पूरे दिन का मौन धारण कर लिया। देवी के सबसे छोटे बेटे 55 वर्षीय हरेराम अग्रवाल ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘छह दिसंबर, 1992 को जब बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था तब मेरी मां ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण तक मौन धारण करने की शपथ ली थी। जब से मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तारीख की घोषणा की गई है तब से वह बहुत खुश हैं।’’
बाघमारा ब्लॉक के भौंरा निवासी हरेराम ने कहा, ‘‘वह सोमवार रात धनबाद रेलवे स्टेशन से गंगा-सतलज एक्सप्रेस से अयोध्या के लिए रवाना हुईं। वह 22 जनवरी को अपना मौन तोड़ेंगी।’’ उन्होंने कहा कि देवी को महंत नृत्य गोपाल दास के शिष्यों ने राम मंदिर उद्घाटन कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है।
परिवार के सदस्यों ने कहा कि चार बेटियों सहित आठ बच्चों की मां देवी ने 1986 में अपने पति देवकीनंदन अग्रवाल की मृत्यु के बाद अपना जीवन भगवान राम को समर्पित कर दिया और अपना अधिकांश समय तीर्थयात्राओं में बिताया। देवी वर्तमान में कोल इंडिया की शाखा भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) में अधिकारी के रूप में कार्यरत अपने दूसरे बेटे नंदलाल अग्रवाल के साथ धनबाद के धैया में रह रही हैं।
नंदलाल की पत्नी इन्नू अग्रवाल (53) ने कहा कि शादी के कुछ महीने बाद ही उन्होंने अपनी सास को भगवान राम की भक्ति में मौन व्रत धारण करते हुए देखा। इन्नु अग्रवाल ने कहा, ‘‘वैसे तो हम उनकी ज्यादातर सांकेतिक भाषा समझ लेते हैं और लेकिन वह लिखकर जो बात करती हैं उनमें जटिल वाक्य लिख देती हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद मेरी सास ने अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर के निर्माण तक ‘मौन व्रत’ का संकल्प लिया। वह दिन में 23 घंटे मौन रहती हैं। दोपहर में केवल एक घंटे का विराम लेती हैं। बाकी समय वह कलम और कागज के माध्यम से हमसे संवाद करती हैं।’’