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सिंहस्थ में शौचालय घोटाला

बड़ी मुश्किल से व्यावसायिक परीक्षा मंडल के दाग सिंहस्थ में साधु-संतों की सेवा के बाद धुले थे। पर ये घोटाले के दाग हैं जो पता नहीं क्यों मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दामन से धुलना ही नहीं चाहते हैं। सिंहस्थ खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अभी चैन की सांस भी नहीं ली है, फुर्सत के दो पल भी नहीं काटे हैं कि घोटाले की बैचेन हवाएं मध्य प्रदेश और उससे बाहर लहराने लगी है।
सिंहस्थ में शौचालय घोटाला

सिंहस्थ में स्टेथेस्कोप के बाद शौचालय घोटाला भी सामने आया है। खबर है कि सिंहस्थ में आने वाले लोगों के लिए बनाए गए शौचालयों में घोटाला हुआ है। सूत्रों ने बताया कि घटिया निर्माण सामाग्री की बात छोड़ दें तो भी जिन ठेकेदारों को काम दिया गया उसमें भी ठेकेदार को सिर्फ एक महीने के लिए शौचलय बनाना था। इसके बाद कांट्रेक्ट में था कि सिंहस्थ खत्म होने के बाद ठेकेदार निर्माण हटा कर जगह को पहले की तरह समतल करेंगे।

जो शौचालय स्वच्छ भारत अभियान के तहत 12000 रुपये में बनाए जाते हैं वैसी ही अस्थाई शौचालय उज्जैन में 20000 रुपये में बनाए गए। साथ ही ठेकेदार ने जो सामग्री लागई थी वह सामग्री जैसे टीन, दरवाजे, चौखट वह वापस ले गया। यानी ठेकेदार को सिर्फ एक महीने के लिए ही इस सामान को अस्थायी तौर पर लगाया और अब वह सामग्री को फिर से इस्तेमाल कर सकता है। इस तरह से ठेकेदार को दोहरा फायदा हुआ है। एक शिकायत यह भी है कि एक ही क्षेत्र में सारे शौचालय बना दिए गए और सैप्टिक टैंक की जगह प्लास्टिक की टंकियों का इस्तेमाल किया गया। यह टंकियां जल्द ही भर गई और गंदगी चारों ओर फैलने लगी थी जिसकी सफाई के लिए कोई इंतजाम नहीं थे।

हालांकि यह घोटाला दूसरे के मायने में शायद इसलिए भी अलग होगा कि मेला प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह ने खुद शौचालयों की परेशानियों के बारे में बताया था और टेंडर देने की शर्तों में हुई गलती को स्वीकार किया था। उन्होंने खुद इस मामले का संज्ञान लेते हुए जांच की बात की है। समय पर न बनने वाले शौचालय, घटिया निर्माण और खराब गुणवत्ता वाले सामान को लगाने की कई शिकायतें पहुचं रही हैं। यह तो तय है कि इन मामलों को देख रहे अफसरों पर जल्द ही कारवाई की जाएगी। 

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