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नया नहीं है अफसरशाही और सियासत का झगड़ा

दिल्ली में मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ 'आप' विधायकों की बदसलूकी का मामला सामने आया है। इस घटना के...
नया नहीं है अफसरशाही और सियासत का झगड़ा

दिल्ली में मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ 'आप' विधायकों की बदसलूकी का मामला सामने आया है। इस घटना के बाद आईएएस लॉबी एकजुट हो गई है और कार्रवाई होने तक काम बंद करने की धमकी दे दी।

अफसरशाही और सियासत का झगड़ा कोई नया नहीं है। पहले भी आईएएस अफसरों और नेताओं के बीच इस तरह की घटनाएं होती रही हैं। 

पुराने कुछ मामले देखें तो लोकसेवाओं के साथ अपमान और मारपीट के किस्से कम नहीं हैं। लेकिन कुछ समय बाद आपस में समझौते ही करने पड़े हैं या मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इस तरह के मामले में ज्यादा दिन तक तनातनी नहीं चल सकती क्योंकि सरकार और प्रशासन को मिलकर चलना होता है।

दुर्गा शक्ति नागपाल 

यूपी में आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल का मामला 2013 में  हुआ था।  दुर्गा शक्ति नागपाल अपने एक फैसले को लेकर प्रदेश सरकार के निशाने पर आ गई थीं। तब समाजवादी पार्टी के नोएडा के एक स्थानीय नेता ने एक रैली में दावा किया था कि उन्होंने 41 मिनट के भीतर दुर्गा शक्ति का ट्रांसफर करवा दिया था। बाद में नेता को मीडिया ने तो निशाने पर लिया पर प्रदेश के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली। सपा सरकार ने भी दुर्गा शक्ति नागपाल को पूरी ताकत के साथ दबाने की कोशिश की थी। दुर्गा शक्ति के पास सिवाय चुप रहने के कोई चारा नहीं था और मामला शांत हो गया।

गोपालगंज के डीएम की हत्या

बिहार में 1994 में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार थी। तब गोपालगंज के डीएम की भीड़ में लोगों ने पीटकर हत्या कर दी थी।  इस भीड़ का नेतृत्व बाहुबली आनंद मोहन सिंह कर रहे थे।  एक अधिकारी को पीट-पीट कर मार दिए जाने के बावजूद आईएएस लॉबी कुछ नहीं कर पाई।

अमिताभ ठाकुर

करीब दो साल पहले यूपी में ईमानदार आईपीएस अधिकारी कहे जाने वाले अमिताभ ठाकुर के साथ तो अजीब वाकया हुआ। समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो और कई बार यूपी के सीएम रह चुके मुलायम सिंह यादव ने फोन करके अमिताभ ठाकुर को ‘सुधर जाने’ की धमकी दी थी।  मुलायम सिंह यादव की एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को खुली धमकी दिए जाने के बावजूद तब भी कुछ नहीं हुआ। मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आखिर कौन कार्रवाई करता?

रश्मि महेश

अक्तूबर 2014 में मैसूर में आईएएस अधिकारी रश्मि महेश के साथ मारपीट की कोशिश की गई लेकिन मामला दब गया।

लेकिन दिल्ली का मामला कुछ अलग है।  दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है।  यहां राज्य की कानून व्यवस्था राज्य सरकार के हाथों में नहीं है। जब दिल्ली में कांग्रेस की शीला दीक्षित की सरकार थी तो केंद्र में भी उनकी ही पार्टी की सरकार थी। कभी ऐसे हालात नहीं बने कि राज्य और केंद्र में सीधे टकराव की स्थिति बनी हो। अरविंद केजरीवाल जबसे मुख्यमंत्री बने हैं तब से ऐसे लग रहा है कि जैसे सारे अधिकारियों ने उनके खिलाफ असहयोग आंदोलन छेड़ रखा है।

अंशु प्रकाश पहले अधिकारी नहीं हैं जिन्होंने अरविंद केजरीवाल सरकार की शिकायत की है। इससे पहले नवंबर 2016 में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के आर मीणा ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर अपमान करने का आरोप लगाया था। उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर एक प्राइवेट पार्टी को जमीन के अलॉटमेंट का आरोप लगाया था। अब मुख्य सचिव अंशु प्रकाश  ने सरकार की उपलब्धियों का विज्ञापन जारी करने के लिए दबाव का आरोप लगाया है। अधिकारी यूपी, बिहार या किसी अन्य राज्य में अधिकारी इस तरह का दबाव नहीं बना सकते थे लेकिन दिल्ली में सरकार के पास अधिकार सीमित हैं। 

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