केरल के सबरीमाला मंदिर में सुप्रीम कोर्ट के बाद सबसे पहले प्रवेश करने वाली दो महिलाओं में से एक बिंदु अम्मिनी पर किसी व्यक्ति ने मिर्च से हमला किया है। अम्मीनी ने बताया कि वे आज सुबह जब वह एर्नाकुलम शहर के पुलिस आयुक्त्त कार्यालय के बाहर खड़ी थीं, तभी एक व्यक्ति ने उनके चेहरे पर मिर्ची पॉउडर छिड़क दिया। वहीं, इसी बीच महिला अधिकार कार्यकर्ता तृप्ति देसाई भी मंगलवार सुबह सबरीमाला मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच गईं।
बता दें कि 16 नवंबर को मंदिर के कपाट मंडल पूजा उत्सव के लिए खोले गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश दिए जाने का आदेश दिया था। हालांकि, इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर 7 जजों की बड़ी बेंच सुनवाई करेगी।
‘हमें राज्य सरकार या पुलिस कोई नहीं रोक सकता’
भूमाता ब्रिगेड की संस्थापक तृप्ति ने कहा, ‘आज संविधान दिवस है और हम सबरीमाला मंदिर में दर्शन के लिए आए हैं। हमें राज्य सरकार या पुलिस कोई नहीं रोक सकता। यदि रोका जाएगा, तो हम अदालत में अवमानना की अपील दायर करेंगे। मैं अपनी यात्रा के बारे में मुख्यमंत्री और डीजीपी को पहले ही बता चुकी हूं। अब उनका कर्तव्य है कि वे हमें सुरक्षा प्रदान करें।’ हाल ही में तृप्ति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा था।
पूजा करनेपहुंचे कई कार्यकर्ता
दरअसल तृप्ति देसाई और कुछ अन्य कार्यकर्ता मंगलवार को भगवान अयप्पा मंदिर में पूज करने के लिए कोच्ची अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंच गई हैं। जिसके बाद उन्हें कोच्चि शहर के पुलिस आयुक्त ले जाया गया। तृप्ति का कहना है कि मंगलवार को संविधान दिवस के दिन वे मंदिर में पूजा करना चाहती है। उन्होंने आगे कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश के साथ आई हैं। जिसमें सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी गई है। तृप्ति ने आगे कहा कि वे मंदिर में प्राथना करने के बाद ही केरल से लौटेंगी।
16 नवंबर को खुले थे मंदिर के कपाट
सबरीमाला मंदिर के कपाट करीब दो महीने तक खुले रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश दिए जाने का आदेश दिया था। इसके बाद अब तक दो बार मंदिर के पट खोले गए हैं। लेकिन, हिंसक विरोध के चलते कोई भी ऐसी महिला मंदिर में दर्शन करने नहीं जा सकी है, जिसकी उम्र 12-50 वर्ष के बीच हो।
केरल सरकार महिलाओं के खिलाफ काम कर रही
तृप्ति ने 16 नवंबर को कहा था, ‘‘सरकार ने महिलाओं को सुरक्षा नहीं देने की बात कही थी, इसीलिए वे बिना सुरक्षा के सबरीमाला जा रही हैं। अब पुलिस के द्वारा उन्हें रोका जा रहा है। सरकार पूरी तरह से महिलाओं के खिलाफ काम कर रही है।’’ उन्होंने कहा था कि 2018 में सबरीमाला पर दिए फैसले पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। सरकार हमें सुरक्षा मुहैया कराए या नहीं, हम 20 नवंबर के बाद वहां जाएंगे। जो यह कहते हैं कि हमें पुलिस सुरक्षा के लिए कोर्ट से आदेश लाना चाहिए। वे कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं।’’
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था प्रवेश की इजाजत
बता दें कि तृप्ति देसाई पुणे की रहने वाली हैं पिछले साल नवंबर में जब सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश को लेकर लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया था तब उन्होंने सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने का प्रयास किया था, जिसमें वे असफल रही थीं।
लगातार महिलाओं के प्रवेश का होता रहा विरोध
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी अब तक कोई भी 10 से 50 साल की महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई हैं क्योंकि वहां इसका लागातार विरोध किया जा रहा है।