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यूपी में बच्चों को अब नहीं मिलेगी मैगी, लाइसेंस रद्द करने की तैयारी

दो मिनट में तैयार होने वाली मैगी नौनिहालों के लिए जानलेवा हो सकती है। मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार उत्तर प्रदेश के खाद्य संरक्षा व औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने हाल ही बाराबंकी के एक मल्टी स्टोर से लिए गए मैगी के नमूनों की जांच कोलकाता की रेफरल लैब से कराई। जांच में नमूना फेल हो गया और इसमें मोनोसोडियम ग्लूटामेट नाम का एमिनो एसिड खतरनाक स्तर तक पाया गया। इसके बाद हरकत में आए एफएसडीए ने पूरे प्रदेश में इस बैच की मैगी की बिक्री पर रोक लगा दी। सोमवार से इसपर और असरदार तरीके से पाबंदी लगाई जाएगी।
यूपी में बच्चों को अब नहीं मिलेगी मैगी, लाइसेंस रद्द करने की तैयारी

 

एफएसडीए के सहायक आयुक्त विजय बहादुर ने मीडिया को बताया कि बाराबंकी से लिए गए मैगी के नूमनों के खतरनाक पाए जाने के बाद पूरे प्रदेश में सर्वे सर्विलांस सैंपलिंग से शुरू हो गई है। राजधानी के डिजिग्नेटेड ऑफिसर (डीओ) को मैगी के नमूंने लेकर जनविश्लेषण प्रयोगशाला भेजने को कहा गया है। मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार एफएसडीए जिला इकाई के मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी एसपी सिंह ने बताया कि तीन अलग-अलग टीमें गठित कर सोमवार व मंगलवार को मैगी के आठ नमूने लिए गए और इन्हें लैब टेस्ट के लिए भेजा गया है। एफएसडीए एक्ट के तहत मोनोसोडियम ग्लूटामेट का प्रयोग किए जाने वाली सामग्री के रैपर पर इसकी मौजूदगी साफ-साफ दर्ज करनी होती है। 

 

इन खबरों के अनुसार यह भी लिखना होता है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चे इसका कतई प्रयोग न करें। एमीनो एसिड श्रेणी का मोनोसोडियम ग्लूटामेट केमिकल वाली खाद्य सामग्री बच्चों की सेहत दांव पर लगा सकती है। यह केमिकल खाने से बच्चे न केवल इसके ही आदी हो सकते हैं बल्कि दूसरी चीजें खाने से नाक-भौं सिकोड़ने लगते हैं। मीडिया में आई खबरों के अनुसार डॉ. राजीव मैगन, वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि लगातार मैगी खाने वाले छोटे बच्चों के शारीरिक विकास पर भी असर पड़ता है। मोनोसोडियम ग्लूटामेट बच्चों की पाचन क्षमता खराब कर देता है।
इससे बच्चों में पेट में दर्द, रोटी-सब्जी, फल खाने पर उल्टी आने, शरीर में सुस्ती, गर्दन के पीछे की नसों के कमजोर होने से स्कूली बस्ते तक का भार न उठा पाने और याददाश्त कमजोर होने की शिकायत हो सकती है। 

 

मीडिया में आई इन खबरों के अनुसार मैगी बनाने वाली कंपनी ने अपनी सफाई में कहा है कि मोनोसोडियम ग्लूटामेट का प्रयोग नेचुरल फार्म में किया जाता है लेकिन चूंकि कोलकात की लैब की जांच में यह नमूने फेल हो गए हैं इसलिए मैगी के उस बैच के उत्पादों की ब्रिकी पर पाबंदी लगा दी गई है। मैगी के नमूनों में हानिकारक केमिकल्स की पुष्टि के बाद खाद्य संरक्षा व औषधि प्रशासन (एफएसडीए) इसकी बिक्री रुकवाने की तैयारी में जुट गया है। बच्चों की सेहत पर खतरा देखते हुए एफएसडीए मैगी बनाने वाली नेस्ले इंडिया कंपनी का मैन्यूफैक्चरिंग लाइसेंस निरस्त कराने की सिफारिश केंद्रीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसए) से करेगा।  मुख्यालय के अधिकारियों की मानें तो इस संबंध में विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट तैयार हो गई है, जिसे सोमवार तक एफएसएसए के डायरेक्टर इंफोर्समेंट को इस सिफारिश के साथ भेजा दिया जाएगा।

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