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यूपीः मुरादाबाद के पीतल की पच्चीकारी और आजमगढ़ की ब्लैक पॉटरी की ख़ूबसूरती को देखेगी दुनिया, ये मंच बनेगा जरिया

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी योजना ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) की धूम पूरी दुनिया...
यूपीः मुरादाबाद के पीतल की पच्चीकारी और आजमगढ़ की ब्लैक पॉटरी की ख़ूबसूरती को देखेगी दुनिया, ये मंच बनेगा जरिया

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी योजना ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) की धूम पूरी दुनिया में होगी। 22 से 26 मई के दौरान स्विट्जरलैंड के दावोस में होने वाला वैश्विक आर्थिक मंच इसका जरिया बनेगा। यहां आने वाले पूरी विश्व के डेलिगेट्स को उत्तर प्रदेश के खास ओडीओपी उत्पादों का गिफ्ट हैंपर दिया जाएगा। केंद्र सरकार की मांग पर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से इस बाबत 600 गिफ्ट हैंपर भेजे जा चुके हैं।

गिफ्ट हैंपर में जो चीजें भेजी गईं हैं उनमें कन्नौज का इत्र, नवाबों के शहर लखनऊ के चिकनकारी एवं जरी-जरदोजी के सामान, वाराणसी का रेशमी स्टोल, मैनपुरी के तारकशी के उत्पाद और आजमगढ़ की ब्लैक पॉटरी के उत्पाद शामिल हैं। ऐसे में अब आजमगढ़ आतंक की नर्सरी के लिए नहीं है जाना जाएगा। इसी बहाने पूरी दुनिया यूपी के कुछ खास उत्पादों की खूबियों से वाकिफ होगी। इससे वैश्विक पटल पर ब्रांड यूपी की पहचान और मुकम्मल होगी।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के हर जिले के कुछ उत्पाद ऐसे हैं जो अपनी खूबियों के नाते वहां की पहचान हैं। ऐसी चीजों के उत्पादन में पीढ़ियों से लोग लगे हैं। उनके परंपरागत हुनर के संरक्षण, संवर्धन के लिए योगी सरकार 1.0 में 24 जनवरी 2018 को उत्तर प्रदेश के प्रथम स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री ने इस बेहद महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ किया था। बाद में केंद्र सरकार ने भी इस योजना की तारीफ की थी। यही नहीं पिछले साल केंद्र ने खेतीबाड़ी के लिए यूपी के ओडीओपी की घोषणा की थी।

इस योजना ने कम समय में ही खासी तरक्की की है। उप्र से होने वाले निर्यात में ओडीओपी उत्पादों की हिस्सेदारी करीब 72 फीसद है। पिछले पांच साल के दौरान इस योजना के जरिए 5 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला। योजना की इस सफलता के ही नाते चुनाव के पहले भाजपा की ओर से जारी लोककल्याण संकल्पपत्र-2022 में अगले 5 साल में ओडीओपी उत्पादों का निर्यात और इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर को दोगुना करने की बात कही गई थी। दोबारा भारी बहुमत की सरकार बनने के बाद 100 दिन, छह माह, दो और पांच साल की कार्ययोजना बनाकर इस बाबत काम भी हो रहे हैं।

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