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यूपी: संक्रमण में आई गिरावट का क्या है राज

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में संक्रमण की संख्या में...
यूपी: संक्रमण में आई गिरावट का क्या है राज

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में संक्रमण की संख्या में आई कमी एक सुखद संकेत है। प्रदेश में तेजी से संक्रमण की संख्या में आधे से ज्यादा की कमी आई है। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञों ने आशंका जताई थी कि उत्तर प्रदेश में पांच से 10 मई के बीच रोजाना एक लाख कोरोना केस आएंगे, लेकिन ट्रेस, टेस्ट, ट्रीट और ज्यादा से ज्यादा वैक्सिनेशन की नीति का परिणाम रहा कि आशंका के विपरीत एक्टिव केस की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। यही वजह है, वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ), नीति आयोग और बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी उत्तर प्रदेश की प्रशंसा की है। केंद्र सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने भी यूपी मॉडल को लागू किया है और अनिवार्य रूप से ऑक्सीजन कंटेनर्स, टैंकर्स और अन्य वाहनों में वेहिकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस लगाने के निर्देश दिए हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद से खुद ग्राउंड जीरो पर उतरकर या बैठक के माध्यम से 10 मंडलों के 45 जिलों की समीक्षा की है। अब दो दिवसीय दौरे पर 16 मई को मेरठ मंडल में नोएडा, गाजियाबाद और मेरठ का दौरा किया और 17 मई सहारनपुर मंडल में सहारनपुर और मुजफ्फरनगर का दौरा कर रहे हैं। अब तक उन्होंने लखनऊ, मुरादाबाद, बरेली, वाराणसी, गोरखपुर, बस्ती, अयोध्या, अलीगढ़, आगरा और मथुरा का दौरा किया है और 40 से अधिक स्थानों पर पहुंचे हैं। यह क्रम आगे भी जारी रहने वाला है।
प्रदेश में हर जिले में इंटीग्रेटेड कोविड एंड कमांड सेंटर (आईसीसीसी) बनाया गया है और यहीं से कोरोना संक्रमितों के उपचार से संबंधित सभी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। संक्रमण और न बढ़े, इसके लिए कंटेनमेंट जोन पर विशेष रूप से फोकस किया गया है। साथ ही शहरों और गांवों में संक्रमण रोकने के लिए अलग-अलग निगरानी समतियां बनाई गई हैं। 60 हजार से अधिक निगरानी समितियों के चार लाख सदस्य गांवों में घर-घर पहुंच कर न सिर्फ कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं, बल्कि साफ-सफाई और स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ भी उन्हें दिला रहे हैं। इस तरह का अभियान चलाने वाला यूपी देश का पहला राज्या है। यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार ने सामुदायिक केंद्रों, पंचायत भवनों और स्कूीलों में कोरोना मरीजों की जांच और इलाज आदि की भी सुविधाएं दी हैं। जिले के हर ब्लॉक में कोविड जांच के लिए सरकार की ओर से दो-दो मोबाइल वैन तैनात की गई है। कोरोना के खिलाफ महाअभियान के लिए स्वाबस्य्त विभाग की 1,41,610 टीमें काम कर रही हैं। इस अभियान पर नजर रखने के लिए 21,242 पर्यवेक्षकों की तैनाती की गई है। ग्रामीण इलाकों में कोविड समेत अन्य संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए बड़े स्तर पर स्वच्छता अभियान चला जा रहा है। अभी तक सरकार 24 करोड़ की आबादी में 20 करोड़ से ज्यादा लोगों तक पहुंच चुकी है। इसमें 16 करोड़ से ज्यादा निगरानी समितियों और चार करोड़ से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग के माध्यम से पहुंची है। सरकार का जोर ट्रैक, टेस्ट, ट्रीट और वैक्सिनेशन को लेकर है। प्रदेश में करीब एक करोड़ 41 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सिन लगाई जा चुकी है। इसके अलावा मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076 से रोजाना करीब 50 हजार लोगों को फोन कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली जाती है और जरूरत पड़ने पर संबंधित जिले के अधिकारियों को भी सीधे फोन किया जाता है। सरकार की ओर से सरकारी अस्पतालों में लोगों को उपचार निशुल्क किया जा रहा है। साथ ही होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को निशुल्क एक सप्ताह की मेडिकल किट भी दी जा रही है।
कोरोना की पहली लहर में स्टेट प्लेन भेजकर ट्रूनेट मशीनें मंगाई गई थीं, तो अब रेमडेसिविर इंजेक्शन और वैक्सिन मंगवाई गई है। उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने सबसे पहले 18 से 44 वर्ग आयु वाले युवाओं को एक मई से निशुल्क टीका लगाने की घोषणा की और एक मई से ही ज्यादा संक्रमण वाले जिलों में टीकाकरण शुरू भी कर दिया। यूपी ने अग्रिम रणनीति अपनाते हुए भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट को 50-50 लाख डोज के लिए 10-10 करोड़ रुपए एडवांस दे दिए थे। जिस वजह से तय समय पर टीकाकरण शुरू हुआ। सरकार ने चार करोड़ वैक्सिन और क्रायोजेनिक टैंकर के लिए ग्लोबल टेंडर भी किया है।
उत्तर प्रदेश को केंद्र सरकार की ओर से रोजाना साढ़े आठ सौ मीट्रिक टन ऑक्सजीन का कोटा अलॉट किया गया है। इसके बावजूद प्रदेश सरकार मौजूदा वक्त में करीब एक हजार मीट्रिक टन से ज्यादा ऑक्सीजन आपूर्ति प्रदेश में कर रही है। इसके लिए सरकार ने कई कड़े कदम उठाए हैं। ऑक्सीजन टैंकरों की संख्या 34 से बढ़ाकर 89 की है। जिले स्तर पर भी मांग की आपूर्ति को लेकर रणनीति बनाई है, ताकि समय रहते ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सके। प्रदेश में आधा दर्जन से ज्यादा बंद ऑक्सीजन प्लांट को फिर से शुरू कराया गया है। ऑक्सीजन की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए देश में पहली बार उत्तर प्रदेश ने ही ऑक्सीजन ऑडिट शुरू कराया और अब प्रदेश की 10 प्रतिष्ठित संस्थाएं अस्पतालों में ऑक्सीजन ऑडिट कर रही हैं। इसके अलावा ऑक्सीजन की आपूर्ति और मांग में सामंजस्य बनाए रखने के लिए 24 घंटे साफ्टवेयर आधारित कंट्रोल रूम निगरानी कर रहा है। इसके लिए ऑक्सीजन टैंकरों में जीपीएस भी लगाए गए हैं। वायुसेना की मदद से खाली टैंकर भेजकर ऑक्सीजन एक्सप्रेस से भरे टैंकर मंगाए गए हैं। साथ ही अन्य राज्यों से भी ऑक्सीजन ट्रेन से मंगाई जा रही है। प्रदेश में 300 नए ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं। इसके तहत 24 ऑक्सीजन प्लांट सरकारी और 30 निजी मेडिकल कॉलेजों में लगाए जाएंगे। साथ ही चीनी मिलों की मदद से भी प्रदेश के हर जिले में दो-दो प्लांट लगाए जाएंगे। कोरोना के खिलाफ पहली लहर में भी डब्ल्यूएचओ ने प्रदेश सरकार के कार्य की प्रशंसा की थी और अब दूसरी लहर में दोबारा की है। जाहिर है कि कोरोना की लड़ाई हम पूरी ताकत के साथ जीतेंगे।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और यह उनके निजी विचार हैं।)

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