सरकार ने कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू कर दिया था। लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराने के लिए कड़ी बंदिशें लगाई गईं और इनका उल्लंघन करने वालों पर मुकदमे दर्ज कर कानूनी शिकंजा भी कसा गया था। अब यूपी सरकार ने कोरोनोवायरस लॉकडाउन दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए लोगों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने का फैसला किया है, बशर्ते कि शिकायतें "गंभीर" प्रकृति की न हों। मुकदमे वापस लेने का ऐलान करने के साथ ही यूपी ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया है।
प्रवक्ता ने शनिवार को कहा कि यूपी में 2.5 लाख से अधिक लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश देने की अवज्ञा) के तहत मामले दर्ज किए गए थे, सीओवीआईडी -19 प्रोटोकॉल तोड़ने के लिए और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि यदि वे गंभीर प्रकृति के नहीं हैं, तो उन्हें वापस ले लें। इससे लोगों को कोर्ट और थाने के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
प्रवक्ता ने कहा, "इस फैसले से न केवल अदालतों पर बोझ कम होगा बल्कि लोगों को मुश्किलों से भी बचाया जा सकेगा।" बता दें कि पिछले महीने इसी तरह के एक फैसले में, राज्य सरकार ने कोविड-19 प्रोटोकॉल तोड़ने के लिए व्यापारियों के खिलाफ दर्ज शिकायतों को वापस लेने के निर्देश जारी किए थे। सरकार के कोरोना प्रोटोकॉल तोड़ने और लॉकडाउन के उल्लंघन से जुड़े मुकदमे वापस लेने के फैसले से आम जनता और व्यापारियों को राहत मिलेगी।