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शराब की जगह चाय के उत्पादन से बदल गई गांव की तस्वीर

मेघालय का एक छोटा सा गांव एक समय में देशी शराब बनाने और शराबियों को लेकर बदनाम था लेकिन अपनी छवि में आमूल परिवर्तन लाकर गांव ने एक अनूठी नजीर पेश की है।
शराब की जगह चाय के उत्पादन से बदल गई गांव की तस्वीर

एक दशक पहले तक राजधानी शिलांग से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मव्लिंगोत गांव में शराब बनाने का काम किया जाता था और यह गांव इसको लेकर बदनाम था। लेकिन बाद में चाय का उत्पादन करने के कारण इस गांव की छवि एक मॉडल गांव के रूप में बन गई है। विद्यालय के पूर्व शिक्षक और ग्राम प्रधान डी एल नोंगस्पंग के दिमाग की देन मव्लिंगोत टी ग्रोवर्स सोसाइटी में 20 किसान हैं। इस सोसाइटी ने 50 हेक्टेयर भूमि में प्रति वर्ष 3000 किलोग्राम से अधिक जैविक ग्रीन टी पत्तियों का उत्पादन कर सहकारी मॉडल के जरिये गांव की दिशा ही बदल दी। यहां तक कि पिछले दो वर्षों से वे लोग ऑस्ट्रेलिया को ग्रीन टी का निर्यात कर रहे हैं।

 

पहले शराब बनाने के काम में लगी महिलाएं ही अब विभिन्न तरह की ग्रीन टी के उत्पादन के काम में लगी हुई हैं। उन्होंने अपने ब्रांड का नामकरण उरलांग के रूप में किया है, जिसका स्थानीय भाषा में अर्थ होता है सपनों का साकार होना। नौ बच्चों की मां 46 वर्षीयमोर्ताबॉन उमसांग ऐसी ही एक महिला हैं। उन्होंने बताया, हम लोग युवा अवस्था में इधर-उधर घूम रहे शराबियों के कारण भयभीत रहते थे। साप्ताहिक बाजारों के दिन स्थिति और भी खराब रहती थी। इस काम में जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने शुरूआती तौर पर उनकी आर्थिक मदद की थी। बाद में सोसाइटी को वर्ल्ड विजन इंडिया की मदद मिली। टी ग्रोवर्स सोसाइटी में कुल 20 किसानों में से 11 किसान महिलाएं हैं।

 

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