दीफू के प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट नाबा कुमार डेका बरूआ ने केजरीवाल के खिलाफ 10,000 रुपये का वारंट जारी किया और आम आदमी पार्टी के नेता को आठ मई को अदालत के सामने पेश होने के लिए तलब किया है।
केजरीवाल ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) को लिखी चिट्ठी के जरिये प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाए और आयोग से पीएम की शिक्षा से जुड़ी जानकारी सावर्जनिक करने की मांग की थी।
वहीं, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी केजरीवाल का समर्थन करते हुए ट्वीट किया कि क्या प्रधानमंत्री के शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाना अपराध है। उन्होंने कहा कि क्या भारत के लोगों को उनके प्रधानमंत्री की योग्यता जानने का अधिकार नहीं है? इसके बारे में इतनी गोपनीयता क्या है। दिग्विजय ने कहा कि मोदी ने अपनी शिक्षा के बारे में लोगों से झूठ बोला है।
गौरतलब है कि कार्बी आंग्लोंग स्वायत्त जिला काउंसिल के कार्यकारी सदस्य सूर्या रोंफाड़ ने मजिस्ट्रेट अदालत में गत वर्ष 26 दिसंबर को मानहानि का एक मुकदमा दर्ज कराया था। इससे पहले मजिस्ट्रेट ने केजरीवाल को अदालत के सामने 30 जनवरी को पेश होने को कहा था।
‘आप’ नेता ने अपने वकील गुरप्रीत सिंह उप्पल के माध्यम से अदालत के सामने उपस्थित होने के लिए 7 अप्रैल तक का समय मांगा था। इसमें कहा गया था कि केजरीवाल के लिए 23 अप्रैल को होने वाले एमसीडी चुनाव और काम के चलते दिल्ली छोड़कर आना संभव नहीं है।
मजिस्ट्रेट ने सोमवार को अपने आदेश में कहा था, इस मामले के रिकॉर्ड को देखने से यह बात सामने आती है कि अरविंद केजरीवाल इससे पहले 30 जनवरी 2017 को अदालत के सामने उपस्थित नहीं हुए थे। अपने वकील के माध्यम से याचिका दायर करके उन्होंने दो महीने से भी ज्यादा समय के लिए स्थगन ले लिया था। हालांकि सीआरपीसी की धारा 205(I) के तहत आरोपी को अदालत के समक्ष उपस्थित होने में कोई छूट नहीं है। आदेश में कहा गया है, इस पर विचार करते हुए, उनके वकील की याचिका खारिज की जाती है।