वहीं भाऊ साहब भुस्कुटे रजत जयंती समारोह में उन्होंने नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि नेता तो वही थे, जिन्होंने 1857 में आजादी के आंदोलन के लिए लोगों को तैयार किया। नेता वही होता है जिसकी समाज में साख हो। आजकल नेतागिरी करने वाले नेता नहीं हैं। भारत का विकास इसके स्वभाव, प्रकृति और संस्कृति के मुताबिक होना चाहिए।
संघ प्रमुख ने ग्राम समिति को मेरा गांव-मेरा तीर्थ बनाने का संकल्प दिलाते हुए कहा कि भेदभाव ने बहुत खेल खेल लिए। अब इसकी तिलांजलि दे देनी चाहिए।