वीरेंद्र सिंह रावत
लखनऊ में कल एक शानदार कार्यक्रम में योगी नें ‘100 दिन विश्वास के’ नामक रिपोर्ट का अनावरण किया था, जो कि उनके सरकार की तथाकथित उपलब्धियों का एक चिटठा है। सत्ता में आने के बाद, योगी ने श्वेत पत्र जारी करने की भी घोषणा की थी जो कि पूर्व की समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकलापों के ऊपर एक सरकारी दस्तावेज होने की सम्भावना थी। श्वेत पत्र आने से अखिलेश यादव सरकार की किरकिरी होने की भी प्रबल सम्भावना थी।
अखिलेश सरकार की विभिन्न योजनाओं की कथित भ्रष्टाचार और सरकारी धन के दुरूपयोग के सम्बन्ध में जांच चल रही है। श्वेत पत्र आने के बाद, और कई योजनाएं भी जांच की जद में आने की बात कही जा रही थी।
अगले माह होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के अंतर्गत, भाजपा अपने सहयोगी दलों के आलावा अन्य विपक्षी पार्टियों का सहयोग लेने की भी पुरजोर कोशिश कर रही है। हालांकि वर्त्तमान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा के प्रति अपना नजरिया नरम नहीं किया है, परन्तु उनके पिता और सपा के पूर्व अध्यक्ष ने भाजपा उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को एक अच्छा उम्मीदवार कहा है।
वैसे योगी सरकार ने श्वेत पत्र न जारी करने के सम्बन्ध में अभी तक कोई अधिकारिक घोषणा नहीं की है, परन्तु जानकार बताते हैं कि अब ऐसा कोई दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं होगा। राज्य सरकार के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि श्वेत पत्र जारी करनी की अब कोई सम्भावना नहीं है, हलाकि उस पर काफी काम हो चुका था।