हरियाणा में अरावली पर्वत और इसके वन क्षेत्र में होने वाले निर्माण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को कड़ी चेतावनी दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा है कि यदि अरावली क्षेत्र में निर्माण की अनुमति देने के लिए अधिनियम में संशोधन पारित कर ‘कुछ भी हुआ’ तो सरकार ‘मुसीबत’ में आ जाएगी।
जस्टिस अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता की पीठ में हरियाणा राज्य सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह अदालत को संतुष्ट करेंगे कि पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम (पीएलपीए), 1900 में संशोधन किसी की मदद करने के लिए नहीं किया गया था।
बेंच ने मेहता से कहा, "हमें अरावली की चिंता है। हम आपको बता रहे हैं कि यदि आप अरावली या कांत एन्क्लेव (जहां शीर्ष अदालत ने वन क्षेत्र में अवैध निर्माणों के कारण इमारतों को गिराने का आदेश दिया था) के साथ कुछ भी कर रहे हैं तो आप मुसीबत में होंगे। यदि आप जंगल से कुछ भी कर रहे हैं, तो आप मुसीबत में होंगे।”
1 मार्च को, पीठ ने कानून में संशोधन पारित करने के लिए हरियाणा सरकार को डांट लगाई थी और कहा था कि राज्य अदालत की अनुमति के बिना कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
27 फरवरी को, हरियाणा विधानसभा ने अधिनियम में संशोधन पारित कर उस क्षेत्र की हजारों एकड़ जमीन रियल एस्टेट के लिए खोल दी थी। साथ ही दूसरी गैर वन भूमि भी जो एक सदी से भी अधिक समय से संरक्षित थी। अधिनियम के संशोधनों को राज्य विधानसभा में मुखर विरोध का सामना करना पड़ा था और विपक्षी दलों ने इस मसले पर सदन से वॉकआउट कर दिया था।
संशोधन पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि पंजाब भूमि अधिनियम (हरियाणा संशोधन)विधेयक, 2019 "समय की आवश्यकता" था। यह "बहुत पुराना" अधिनियम था और समय के साथ बहुत कुछ बदल गया है।
यह मुद्दा अदालत में गया जिसमें अदालत ने हरियाणा में अरावली पहाड़ियों के वन क्षेत्र में अवैध निर्माणों को ढहाने का निर्देश दिया था। शुक्रवार को संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, मेहता ने पीठ से कहा कि विधानसभा ने विधेयक पारित कर दिया है, लेकिन यह अभी तक एक अधिनियम नहीं बन पाया है। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि रियल एस्टेट डेवलपर्स के पक्ष में संशोधन राज्य सरकार द्वारा पारित किए गए थे, जो कि सही नहीं थे। उन्होंने कहा, "मैंने उनकी (संशोधनों) की जांच की है। यह नहीं कहा जा रहा है कि समाचार पत्रों ने क्या कहा है," उन्होंने पीठ से कहा, "जब मामला सुनवाई के लिए आएगा, तो मैं अदालत को संतुष्ट करने में सक्षम हो जाऊंगा कि यह (संशोधन) किसी की मदद करने के लिए नहीं है।