उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान भेदभाव और डिजिटल विभाजन से बचने के लिए प्रवासी कामगारों के बच्चों के लिए एक समान शिक्षा नीति की मांग करने वाली 2020 की याचिका को गुरुवार को ‘‘निराधार’’ करार दिया।
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने कहा कि कोविड-19 की अवधि अब समाप्त हो गई है। पीठ ने कहा, "समय बीतने के कारण यह मामला निष्फल हो गया है क्योंकि जिस मुद्दे को संबोधित करने की मांग की गई थी, वह कोविड-19 के दौरान प्रवासियों के बच्चों की शिक्षा थी। याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने की मांग की।"
शीर्ष अदालत एनजीओ, गुड गवर्नेंस चैंबर्स द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि कोरोनोवायरस महामारी के दौरान प्रारंभिक शिक्षा को विनियमित करने के लिए उठाए गए कदम अपर्याप्त थे।
एनजीओ ने छह से 14 वर्ष की आयु के बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए दिशा-निर्देश मांगे थे, जिन्हें संविधान के तहत मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई थी। अदालत ने अगस्त 2020 में याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था।