12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे की जांच में एक अहम कदम आगे बढ़ा है। गुरुवार, 26 जून 2025 को विमान के सामने वाले ब्लैक बॉक्स (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर) से डेटा सफलतापूर्वक निकाल लिया गया है और इसकी मेमोरी मॉड्यूल तक पहुंच बना ली गई है। नागर विमानन मंत्री के. राममोहन नायडू ने 24 जून को बताया था कि हादसे की जांच एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) द्वारा की जा रही है और इसे विदेश नहीं भेजा जाएगा।
12 जून को लंदन के लिए उड़ान भरने के तुरंत बाद विमान ने एक मेडिकल हॉस्टल में टक्कर मारी थी, जिसमें 241 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से केवल एक ने जान बचाई थी। हादसे में 33 लोग जमीन पर भी मारे गए, जिससे मृतकों की संख्या 274 हो गई। ब्लैक बॉक्स से मिले डेटा से हादसे के कारण—चाहे वह इंजन खराबी, पायलट त्रुटि या तकनीकी खराबी हो—का पता लगाने में मदद मिलेगी।
सरल भाषा मे कहे तो बॉक्स विमान का एक विशेष यंत्र होता है जो उड़ान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ रिकॉर्ड करता है। यह दरअसल दो हिस्सों में बंटा होता है — फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR)। FDR विमान की गति, ऊंचाई, इंजन की स्थिति, दिशा जैसी तकनीकी जानकारी रिकॉर्ड करता है, जबकि CVR पायलटों और एयर ट्रैफिक कंट्रोल के बीच की बातचीत, कॉकपिट की आवाज़ें और अलार्म जैसी ध्वनियाँ सुरक्षित करता है।
हालांकि इसका नाम 'ब्लैक बॉक्स' है, लेकिन असल में यह नारंगी रंग का होता है ताकि दुर्घटना के बाद मलबे में आसानी से मिल सके। इसे बहुत मजबूत सामग्री से बनाया जाता है जो बेहद उच्च तापमान, दबाव और पानी में भी सुरक्षित रहता है। विमान दुर्घटना के बाद ब्लैक बॉक्स ही यह समझने में मदद करता है कि हादसा क्यों और कैसे हुआ।
इसका विश्लेषण विशेषज्ञ करते हैं, जिससे भविष्य की दुर्घटनाओं को रोका जा सके। यानी ब्लैक बॉक्स न सिर्फ सच्चाई सामने लाता है, बल्कि विमानन सुरक्षा सुधारने में भी अहम भूमिका निभाता है।
इस बीच, AAIB ने 24 जून को क्रैश प्रोटेक्शन मॉड्यूल (CPM) को सुरक्षित निकाला और 25 जून को डेटा डाउनलोड किया गया। यह जानकारी जांच को तेज कर सकती है, हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि डेटा विश्लेषण में समय लगेगा। हादसे के बाद से ही जांच में अमेरिका और ब्रिटेन की टीमें भी सहयोग कर रही हैं, क्योंकि विमान बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर था।