अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार समझौते को लेकर एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने कहा है कि यदि भारत के साथ व्यापार समझौता 1 अगस्त की समय सीमा तक अंतिम रूप नहीं लेता, तो भारतीय निर्यात पर 25% तक टैरिफ लगाया जा सकता है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देश एक व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) को अंतिम रूप देने के लिए गहन बातचीत कर रहे हैं। ट्रंप ने भारत को "उच्च टैरिफ वाला देश" करार देते हुए कहा कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर भारी शुल्क लगाता है, जिसके जवाब में अमेरिका भी पारस्परिक टैरिफ लागू कर सकता है।
ट्रंप ने हाल के महीनों में बार-बार भारत के साथ व्यापार असंतुलन की शिकायत की है। 2023 में भारत और अमेरिका के बीच 117 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ, जिसमें भारत को 33.8 बिलियन डॉलर का व्यापार अधिशेष प्राप्त था। ट्रグローバル व्यापार अनुसंधान पहल (जीटीआरआई) के अनुसार, ट्रंप की नीति के तहत भारत से निर्यात होने वाले फार्मास्यूटिकल्स, रत्न और आभूषण, और समुद्री उत्पादों जैसे क्षेत्रों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ सकता है। भारत ने अमेरिकी उत्पादों, जैसे बोरबॉन व्हिस्की और हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिलों पर शुल्क में कटौती की है, लेकिन ट्रंप का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है।
भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा कि दोनों देश "शानदार प्रगति" कर रहे हैं, लेकिन कृषि और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में बाजार पहुंच पर सहमति बनाना चुनौतीपूर्ण रहा है। ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह जल्दी समझौते की बजाय बेहतर समझौते को प्राथमिकता देंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि टैरिफ लागू होते हैं, तो भारत का निर्यात प्रभावित हो सकता है, खासकर क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। इसके अलावा, चीन जैसे देशों से सस्ते आयात की बाढ़ भारत के घरेलू उद्योगों को नुकसान पहुंचा सकती है।
भारत अब एक संतुलित रणनीति पर काम कर रहा है, जिसमें वह अमेरिकी मांगों को पूरा करने और अपनी आर्थिक प्राथमिकताओं की रक्षा करने की कोशिश कर रहा है। ट्रंप की अप्रत्याशित नीतियों के बीच भारत के लिए यह एक कठिन कूटनीतिक चुनौती है।[]