उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले की एक अदालत के आदेशानुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की 30 सदस्यीय टीम ने सोमवार सुबह वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए ज्ञानवापी परिसर में प्रवेश किया, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित यह मस्जिद किसी मंदिर के ऊपर तो नहीं बनाई गई है। एक अधिवक्ता ने यह जानकारी दी।
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि एएसआई की टीम सुबह सात बजे वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए निर्धारित परिसर में दाखिल हो गई और मौके पर हिंदू पक्ष के सभी वादियों के अधिवक्ता भी मौजूद हैं।
वाराणसी के जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने रविवार देर रात कहा था कि एएसआई की टीम वाराणसी पहुंच गई है और सोमवार सुबह सात बजे से परिसर के अंदर सर्वेक्षण की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
रविवार रात पुलिस कमिश्नर वाराणसी अशोक मुथा जैन और जिलाधिकारी वाराणसी ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के साथ बैठक कर उन्हें सर्वे के बारे में जानकारी दी।
मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने सर्वे के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में सोमवार को प्रस्तावित सुनवाई का हवाला देते हुए सर्वे की तारीख बढ़ाने की मांग की है और इसका बहिष्कार कर रहे हैं।
वाराणसी में जनपद न्यायाधीश एके विश्वेश की अदालत ने शुक्रवार को काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित मां श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की मांग को स्वीकार करते हुए वजूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक एवं वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की अनुमति दे दी थी।
मामले में हिंदू पक्ष द्वारा दायर याचिका में एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने स्थानीय अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसमें मस्जिद परिसर के अंदर स्थित मां श्रृंगार गौरी स्थल पर नियमित पूजा के अधिकार की मांग की गई थी।
अप्रैल 2022 में दिवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण का आदेश दिया था। मुस्लिम पक्ष के विरोध के बीच सर्वेक्षण अंततः मई 2022 में पूरा हुआ था। इसी दौरान हिंदू पक्ष ने मस्जिद परिसर के अंदर वजू के लिए बने तालाब में ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया था, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था।