Advertisement

मिलिए उस पुलिस अधिकारी से- जिसे मुख्तार पर पोटा लगाने की वजह से गवानी पड़ी थी नौकरी, 'मुलायम सिंह का था दबाव'

पंजाब की जेल में बंद उत्तर प्रदेश के माफिया और विधायक मुख्तार अंसारी पर पोटा लगाने वाले पूर्व पुलिस...
मिलिए उस पुलिस अधिकारी से- जिसे मुख्तार पर पोटा लगाने की वजह से गवानी पड़ी थी नौकरी, 'मुलायम सिंह का था दबाव'

पंजाब की जेल में बंद उत्तर प्रदेश के माफिया और विधायक मुख्तार अंसारी पर पोटा लगाने वाले पूर्व पुलिस उपाधीक्षक शैलेंद्र सिंह को अदालत से बड़ी राहत मिली है और उनके खिलाफ दायर सभी मुकदमे वापस लेने के आदेश दिए गये हैं। 'आजतक' को दिए अपने एक इंटरव्यू में यूपी पुलिस के पूर्व डीएसपी मुख्तार अंसारी के जुर्म के किस्से सुनाते वक्त रो पड़ते हैं। उन्होंने बताया है कि इस मामले में उन्होंने अपनी नौकरी दांव पर लगाई थी और इसे गंवानी पड़ी थी।

शैलेंद्र सिंह को क्यों छोड़नी पड़ी थी नौकरी

इस इंटरव्यू में शैलेंद्र सिंह बताते हैं, "जब उन्होंने लाइट मशीन गन की रिकवरी की थी तब ये पूरा काम सरकार के आदेश पर हुआ था। इस रिकवरी के बाद सभी ने उन्हें बधाई दी, लेकिन किसी को ये मालूम नहीं था कि इसमें पोटा लगा हुआ है। छोड़ी देर बाद शासन को जब इसकी खबर लगी, तब इस मामले में मुख्तार दोषी नजर आ रहे थे। मुख्तार के दबाव से उन्हें इस केस को वापस लेने को कहा गया।" शैलेंद्र सिंह बताते है कि उन्होंने तब कहा था कि इस केस में एफआईआर हो चुकी है अब इसे वापस नहीं लिया जा सकता। उन्हें इन्वेस्टिगेशन के दौरान मुख्तार अंसारी का नाम लेने से भी मना कर दिया गया था, लेकिन उन्होंने अपने बयान से पलटने से इंकार कर दिया।

10 दिनों में दो रेजिग्नेशन

वो आगे बताते हैं कि इसके बाद बहुत सी बाते हुई थी। उन्हें लखनऊ बुला लिया गया और उन्हें तमाम तरीकों से प्रताड़ित करने लगे। स्थिती गंभीर होने के बाद उन्होंने 11 फरवरी को अपना पहला रेजिग्नेशन दे दिया। जिसमें उन्होंने लिखा कि राजनीति का इतना प्रधिकरण बढ़ गया है कि अपराधी बैठकर यह निर्णय ले रहे हैं कि हमें किसी तरह से काम करना चाहिए। इससे अच्छा है की हम अपनी नौकरी छोड़ दें। यह लिख कर शैलेंद्र ने अपना रेजिग्नेशन भेजा था। मुलायम सिंह की सरकार के दौरान उन्होंने दूसरा रिजिग्नेशन यह कहते हुए दिया कि मुझे इस प्रकार से आप लोगों के साथ काम नहीं करना है।

मुख्तार अनसारी का एलएमजी में सीधा कनेक्शन

इस इंटरव्यू में शैलेंद्र बताते है कि 2003 में लखनऊ के केन्ट स्टेशन में कृष्णानंद और मुख्तार के बीच क्रॉस फायरिंग हुई थी। उसके बाद उनको इन दोनों पर नजर रखने के लिए कहा गया। शैलेंद्र ने वॉच करते वक्त ही इन दोनों की रिकॉडिंग पकड़ी थी। इस रिकॉडिंग में मुख्तार अपने आदमी के जरिए सेना के भगोड़ा बाबूलाल यादव से बात की थी। जिसमें उन्होंने एक करोड़ में ये सौदा पक्का किया था। तब मुख्तार ने फोन पर कहा था कि किसी भी कीमत पर एलएमजी चाहिए जिससे कृष्णानंद को मारने की प्लानिंग की गई थी। यह पूरी बाते शैलेंद्र ने रिकॉर्ड की थी, लेकिन जब इस केस से मुलायम सिंह ने पोटा हटाया तो बाद में मुख्तार का बयान बदलवा दिया गया। मुख्तार ने कहा था कि हम तो उसे पकड़वाने के लिए यह सब कह रहे थे। जिससे मुख्तार बच गए।

17 साल की कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी

शैलेंद्र बताते हैं कि मुलायम सिंह इस मामले से बहुत नाराज हुए थे जिससे रातो-रात बनारस जोन के आईजी, डीआईजी, एसएसपी का तबादला करा दिया गया। आगे वो बताते है कि इस केस को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए ये तबादले अचानक से कराए गए थे। इतना ही नहीं, कई मामलों को लेकर शैलेंद्र को बाद में भी जेल भेजा गया था। शैलेंद्र ने वर्तमान सरकार से अपील थी कि इस मामले में ऐसे अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। इस केस में उनका 17 साल का कीमती समय बर्बाद हुआ। जिससे उनके पूरे परिवार को बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

इस केस की वजह से नौकरी छोड़ी थी नौकरी

वह बताते हैं कि उन्होंने सिर्फ और सिर्फ इस केस की वजह से नौकरी छोड़ी थी। उन्होंने अपने रेजिग्नेशन में लिखा था कि उन्होने और उनकी टीम ने अपनी जान पर खेल कर इस मशीनगन की रिकवरी की थी। इसके बाद उन्हें इस केस को वापस लेने के लिए कई धमकियां भी मिली थी। ऐसे में कोई कैसे काम कर सकता है। इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी थी। इस इंटव्यू के दौरान अपनी परिस्थियां सुनाते वक्त उनके आंखों में आंसु आ जाते हैं।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad