कानपुर के बिकरू गांव में कई पुलिस वालों को मौत के घाट उतारने वाले गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर मामले में यूपी पुलिस को बड़ी राहत मिली है। मिली जानकारी के अनुसार गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर मामले में यूपी पुलिस के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। जिसके बाद जस्टिस बीएस चौहान आयोग की रिपोर्ट में इस मामले में यूपी पुलिस को क्लीन चिट दे दी गई है।
गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर मामले में हो रही जांच में यूपी पुलिस के फर्जी मुठभेड़ करने के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है।
विकास दुबे एनकाउंटर मामला
22 जुलाई, 2020 को विकास दुबे एनकाउंटर मामले में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया गया था। जिसमें इलाहाबाद के एचसी जज शशिकांत अग्रवाल और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता भी शामिल थे। आयोग ने स्वतंत्र गवाहों की आठ महीने की जांच के बाद सोमवार को यूपी सरकार को अपनी रिपोर्ट दी थी।
इसके बारे में पूछे जाने पर गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा, "मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा।"
सूत्रों के मुताबिक, जांच आयोग को राज्य पुलिस द्वारा गलत काम करने का कोई सबूत नहीं मिला है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि न्यूज पेपर और मीडिया में विज्ञापनों के बाद भी पुलिस के दावों को चुनौती देने के लिए कोई गवाह सामने नहीं आया। उन्होंने आगे बताया कि पुलिस विवरण का समर्थन करने वाले गवाह हैं।
बता दें कि पिछले साल 3 जुलाई को कानपुर के गांव बिकरू में विकास दुबे और उसके साथियों ने डीएसपी सहित 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। जिसके बाद 10 जुलाई को उज्जैन से वापस लाते वक्त पुलिस ने दुबे को मुठभेड़ में मार गिराया था, लेकिन इसे फर्जी मुठभेड़ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में 6 जनहित याचिका दायर की गई थी। जांच के बाद गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर मामले में यूपी पुलिस के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने पर यूपी पुलिस को क्लीन चिट दे दी गई है।