“जाको राखे साइयां मार सके न कोय”, जी हां, बिहार से एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें हिम्मत की बदौलत एक व्यक्ति की जान बची है। 7 घंटे गंगा नदी में तैरता रहने और 12 घंटे जंगल में भटकने के बाद 42 वर्षीय दिलेर युवक दिनेश्वर खुद की जान बचाने में कामयाब हो गए। हिंदुस्तान समाचार के मुताबिक 19 घंटे की जंग के बाद वो अपनी जान बचा पाएं।
रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार की रात को आरा-छपरा पुल के नीचे गंगा में पाया नंबर चार से टकराकर बड़ी नाव डूब गई थी। हादसे में 12 मजदूरों में से छह लोगों को नाविकों ने बचा लिया। लेकिन, शेष छह नदी की उफनती धारा में बह गये। इनमें ही जगन्नाथ राय के पुत्र दिनेश्वर भी शामिल थे।
बड़हरा प्रखंड के सेमरा गांव के 42 वर्षीय दिनेश्वर राय ने हिंदुस्तान को बताया है कि वो 19 घंटे तक जिंदगी की जंग लड़ते रहे। सोमवार की रात नौ बजे से 12 बजे तक तीन घंटे तक वो गंगा की तेज धार में बहते रहे। 20-22 किलोमीटर दूर तक बहने के बाद उफनती धारा ने रात करीब 12 बजे सोते के सहारे दिनेश्वर को जंगल (टापू) के किनारे लगा दिया। उसके बाद वो अगले दिन दोपहर बारह बजे तक अर्ध-नग्नय अवस्था में भटकते रहे।
समाचार के मुताबिक काफी घूमने के बाद दिनेश्वर को पेड़ दिखा तो उन्होंने टहनियों का गट्ठर बनाया और फिर गंगा में उतर गए। करीब चार घंटे तक मदद की आस लिये गट्ठर के सहारे तैरता रहे। मंगलवार शाम में चार बजे पटना जिले के गोरेया स्थान के सामने नीलकंठ टोला दियारे के लोगों ने उन्हें नदी से निकाला।
सूचना मिलते ही गांव से परिजनों ने बुधवार की सुबह उन्हें घर लेकर आएं। दिनेश्वर के घर पहुंचे ही पत्नी सुनीता खुशी से उछल पड़ी। घर में खुशियां छा गई। अपने पिता को देखते ही बड़ी बेटी किरण, सैलेशिमा के साथ साथ बेटे जीतू, सिंटू व मिंटू के खुशी के आंसू निकल पड़ें।