मलेशिया की यात्रा पर पहुंचे सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने की भारत की नीति पर जोर देते हुए कहा कि “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता।” कुआलालंपुर स्थित भारतीय उच्चायोग ने सोमवार को यह जानकारी दी।
पोस्ट के मुताबिक, “चर्चा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ प्रतिक्रिया पर केंद्रित थी। आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने की भारत की नीति पर जोर दिया गया और यह स्पष्ट किया गया कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता।”
विश्व बैंक की मध्यस्थता में 1960 में हुई इस संधि में सिंधु और इसकी पांच सहायक नदियों-सतलुज, व्यास, रावी, झेलम और चिनाब- के पानी के इस्तेमाल के लिए दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच जल बंटवारे और सूचनाओं के आदान-प्रदान के खाके को परिभाषित किया गया है।
उच्चायोग ने बताया कि संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने वाईबी सिम त्जे त्जिन के नेतृत्व वाले पार्टी केडिलन राक्यत के प्रतिनिधिमंडल के साथ “रचनात्मक वार्ता” की।
उसने पोस्ट किया, “आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने की भारत की नीति को रेखांकित किया गया और सीमा पार खतरों के खिलाफ हमारी राष्ट्रीय एकता की पुष्टि की गई।”
उच्चायोग ने कहा, “केडिलन के प्रतिनिधियों ने प्रतिनिधिमंडल की ओर से दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरण की सराहना की और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में आगे की राह तथा प्रत्येक राष्ट्र की जिम्मेदारियों पर रचनात्मक चर्चा की।”
उच्चायोग के अनुसार, संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने पार्टी केडिलन राक्यत के साथ बैठक के दौरान राष्ट्रीय एकता के लिए उप मंत्री वाईबी सरस्वती कंडासामी के साथ भी बातचीत की।
एक बयान के मुताबिक, प्रतिनिधिमंडल ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ कतई बर्दाश्त न करने के भारत के सिद्धांतबद्ध और अडिग रुख को रेखांकित किया।
बयान के अनुसार, यहां प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ बातचीत में प्रतिनिधिमंडल ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख का जिक्र किया और इस बात पर जोर दिया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भविष्य में आतंकवादी हमलों का जवाब देने और उन्हें नाकाम करने के भारत के अधिकार का प्रदर्शन था।
बयान में कहा गया है कि भारतीय मूल के मलेशियाई मुसलमानों सहित सभी प्रवासी भारतीयों ने आतंकवाद की स्पष्ट रूप से निंदा की।
इसमें कहा गया है कि संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने कुआलालंपुर में रामकृष्ण मिशन का दौरा किया और स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
बयान के मुताबिक, प्रतिनिधिमंडल ने पंचवटी प्रार्थना कक्ष और निवेदिता हाउस का भी दौरा किया।
इसमें कहा गया है कि संसदसीय प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय (एनडीसी), नयी दिल्ली के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भी बातचीत की, जो मौजूदा समय में मलेशिया के अध्ययन दौरे पर है।
बयान के अनुसार, संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने तोरण द्वार का भी दौरा किया, जो भारत के लोगों की ओर से मलेशिया को दिया गया एक उपहार है। इसका उद्घाटन 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मलेशिया यात्रा के दौरान किया गया था।
भारतीय उच्चायोग ने कहा कि कुआलालंपुर के ‘लिटिल इंडिया’ में स्थित तोरण द्वार न सिर्फ एकता, बल्कि भारत और मलेशिया के बीच मजबूत एवं लगातार जारी दोस्ती का प्रतीक है।
प्रतिनिधिमंडल में झा के अलावा सांसद अपराजिता सारंगी, अभिषेक बनर्जी, बृज लाल, जॉन ब्रिटास, प्रदान बरुआ, हेमांग जोशी, पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और पूर्व राजदूत मोहन कुमार शामिल हैं।
यह प्रतिनिधिमंडल उन सात बहुदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक है, जिन्हें भारत ने दुनिया के 33 देशों की राजधानी की यात्रा कर आतंकवाद से पाकिस्तान के संबंधों को उजागर करने का जिम्मा सौंपा है।