भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए 2014 के बाद से आम तौर पर बुरे की तुलना में अधिक अच्छे वर्षों की संख्या अधिक रही हैं। इस साल की आखिरी तिमाही भी पार्टी के लिए तीन राज्यों में जीत के साथ सुखद रही और वह अगला साल भी पार्टी के लिए सुखद होने की उम्मीद कर रही है क्योंकि आगामी साल में आम चुनाव हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार तीसरे कार्यकाल को बरकरार रखने की कोशिश करेंगे।
हाल के राज्य विधानसभा चुनावों में पार्टी की बड़ी जीत ने इसकी मजबूत स्थिति की पुष्टि की है और पार्टी नेताओं का मानना है कि आने वाले कई घटनाक्रम इसकी संभावनाओं को और मजबूत करेंगे।
तीन हिंदी भाषी राज्यों में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत के बाद, भाजपा के नीति निर्धारक अब इस योजना में व्यस्त हैं कि वह 2019 के लोकसभा चुनाव में 303 सीटों की अपनी संख्या में कैसे सुधार कर सकते हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा इन दिनों पिछली बार की 300 के मुकाबले 2024 में 350 के करीब सीट जीतने की संभावना पर बात करना असामान्य नहीं है। इस आशावाद को विपक्षी गठबंधन की तरफ से हवा दी गयी है जो बिना किसी एजेंडे, संयुक्त कार्यक्रम या दृष्टिकोण या नेतृत्व के साथ सामने आया है। विपक्षी पार्टियों ने जुलाई में अपने गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस) रखा था।
इस साल ‘ब्रांड मोदी’ और मजबूत हुआ जिसका प्रभाव राज्यों के विधानसभा पर देखने को मिला। लोकसभा की सीटों के हिसाब से हिमाचल प्रदेश को छोड़कर भाजपा ने पूरे उत्तर भारत से कांग्रेस को उखाड़ फेंका और कुछ शेष क्षेत्रीय क्षत्रपों के प्रभाव को कम किया।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी जीत के साथ, भाजपा अब पंजाब, हिमाचल प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी को छोड़कर पूरे उत्तर-पश्चिम भारत पर शासन कर रही है, जो 2014 के लोकसभा चुनावों से उसका अभेद्य किला बना हुआ है।