16 जुलाई 2025 को महाराष्ट्र विधान परिषद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे को मजाकिया अंदाज में सत्तापक्ष में शामिल होने का न्योता दिया, जिसने सियासी हलचल मचा दी। यह बयान विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के विदाई समारोह के दौरान आया, जिनका कार्यकाल समाप्त हो रहा था। फडणवीस ने उद्धव की ओर इशारा करते हुए कहा, “उद्धव जी, 2029 तक हमारे विपक्ष में जाने की कोई गुंजाइश नहीं है। लेकिन अगर आप इस तरफ (सत्तापक्ष) आना चाहें, तो इस पर विचार किया जा सकता है। यह आप पर निर्भर है।” इस टिप्पणी पर NDA विधायकों ने ठहाके लगाए, और फडणवीस ने हँसते हुए कहा कि दानवे के विचार दक्षिणपंथी हैं।
उद्धव ने इस बयान को हल्के-फुल्के अंदाज में लिया और कहा, “ऐसी बातें मजाक में कही जाती हैं, इन्हें वैसा ही लेना चाहिए।” लेकिन इस टिप्पणी ने आगामी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनावों से पहले सियासी अटकलों को हवा दी। कुछ लोग इसे फडणवीस की रणनीति मान रहे हैं, ताकि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना को संदेश दिया जाए, जिनके विधायकों संजय गायकवाड़ और संजय शिरसट की हालिया विवादास्पद टिप्पणियों ने महायुति गठबंधन को असहज किया है।
इससे पहले 5 जुलाई को उद्धव और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे ने 20 साल बाद एक मंच साझा किया था, जब महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा बनाने के फैसले को वापस लिया। राज ने मजाक में कहा था, “फडणवीस ने वह किया जो बालासाहेब नहीं कर सके: हमें एकजुट किया।” उद्धव ने कहा, “हम मराठी के लिए एक साथ आए हैं और साथ रहेंगे।” फडणवीस ने इसका जवाब देते हुए कहा, “मुझे खुशी है कि मैंने दोनों भाइयों को मिलाया, शायद बालासाहेब मुझे आशीर्वाद दे रहे हैं।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब उद्धव और राज ठाकरे की शिवसेना (UBT) और MNS के बीच गठबंधन की चर्चा है। दोनों मराठी अस्मिता के लिए एकजुट होने की बात कर रहे हैं, लेकिन उद्धव ने स्पष्ट किया कि वह महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों का साथ नहीं देंगे। यह सियासी घटनाक्रम BMC चुनावों से पहले महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरण बना सकता है।