“एजेंडा तो राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा। हम सब लोग प्रदेश की स्थितियों पर काम करेंगे”
पिछले महीने उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) का नया अध्यक्ष अजय राय को बनाया गया। अजय राय बनारस से नरेंद्र मोदी के खिलाफ पिछले दो लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, इसलिए उनके साथ एक लाभ यह है कि वे किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उनके शपथ ग्रहण के बाद से लखनऊ के पीसीसी कार्यालय में मेले जैसा माहौल है। बरसों बाद तमाम बुजुर्ग-पुराने कांग्रेसी अपने घरों से निकले हैं। प्रदेश कांग्रेस की बदली हुई सूरत में पार्टी का चुनावी एजेंडा क्या है? लखनऊ में अजय राय के साथ आउटलुक के लिए अभिषेक श्रीवास्तव की खास बातचीत
पिछले पांच साल में आप प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तीसरे अध्यक्ष हैं। बतौर अध्यक्ष, क्या एजेंडा है आपका?
एजेंडा संघर्ष है। बाहर देखिए, पुलिस-प्रशासन खड़ा है चारों ओर घेर के, हम संघर्ष करेंगे। हर समस्या का समाधान संघर्ष से ही निकलेगा।
आपसे पहले पीसीसी के अध्यक्ष रहे अजय कुमार ‘लल्लू’ ने खूब संघर्ष किया। सड़क पर उन्हें सबने देखा, कई बार गिरफ्तार होते हुए, लेकिन 2019 और 2022 में कोई फर्क नहीं पड़ा। आपको लगता है कि जनता संघर्ष का सम्मान करती है चुनाव में?
बिलकुल करती है। देखिए, 2022 का चुनाव राज्य का चुनाव था। 2024 का चुनाव केंद्र का है। इसमें तो कांग्रेस वन-टु-वन है। हां, प्रदेश में 2022 में हमारी स्थिति ऐसी नहीं थी, यह मैं स्वीकार करता हूं। इस बार परिस्थितियां अलग हैं। इसलिए लल्लूजी ने, अनिल जी ने और हम लोगों ने अब तक जो संघर्ष किया है, वह इस बार परिणाम देगा।
ये जो 'इंडिया' नाम का गठबंधन बना है, उसमें आपकी पार्टी का सामाजिक प्रोग्राम और एजेंडा क्या होगा यूपी के लिए?
एजेंडा तो राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा। हम सब लोग प्रदेश की स्थितियों पर काम करेंगे। जैसे देखिए, भारत सरकार के मंत्री के घर में लखनऊ में हत्या हो जाती है और मारा गया लड़का उनके बेटे का राइट हैंड है। मंत्री का बयान आता है कि उनका बेटा दिल्ली में था। इससे पहले ऐसी ही घटना लखीमपुर खीरी में हुई। टेनी ने वहां अपने बेटे को बचाया, यहां कौशल किशोर अपने बेटे को बचा रहे हैं। यानी मंत्री का बेटा कुछ करेगा तो वह अपराधी नहीं है। साधारण आदमी कुछ करेगा तो उसका घर गिरा दिया जाएगा, उसे जेल में डाल दिया जाएगा और उसके पूरे परिवार को प्रताडि़त किया जाएगा। ये क्या है? ये घटनाएं दिखाती हैं कि यूपी में पूरी तरह से जंगलराज कायम है।
पूर्वांचल केंद्रित कोई खास एजेंडा? वहां से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और आप भी आते हैं?
पिछड़ापन एजेंडा है। दो बार प्रधानमंत्री जी वहां से चुनकर आए, लेकिन बनारस में एक भी कल कारखाना नहीं लगा। अमूल के नाम पर वे डंका बजाते हैं। जब मैं 2012 से 2017 के बीच वहां से विधायक था, तो 2016 में बनासकांठा सोसायटी के नाम से वहां 30 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री हुई थी। मैं विधायक था, मैंने जमीन रजिस्ट्री कराई। फिर मुआवजे को लेकर थोड़ा विवाद हो गया तो कोर्ट चले गए गांव के लोग, उस नाते थोड़ा विलंब हुआ, नहीं तो कब का चालू हो गया होता। बस एक कारखाना अमूल का आया, वह भी हम लोगों द्वारा लाया गया, इनके द्वारा नहीं। पूरे पूर्वांचल और खासकर बनारस में एक भी कारखाना नहीं लगा। डीएलडब्ल्यू जैसे कारखाने का निगमीकरण करके कई हिस्से में उसे इन्होंने बांट दिया। इसीलिए पूर्वांचल में इतनी बेरोजगारी है। 2019 में एक बंदरगाह बनाया गया था। जिस जहाज को मोदीजी ने हरी झंडी दिखाई उससे एक भी कनसाइनमेंट नहीं गया। फिर कोई जहाज वहां नहीं आया। सब काम बंद है।
आपका तात्कालिक प्रतिद्वंद्वी कौन है यूपी में- भाजपा या सपा?
भाजपा है। सपा के साथ क्या है क्या नहीं, ये राष्ट्रीय नेतृत्व को तय करना है।
बसपा को लेकर क्या पोजीशन है कांग्रेस की?
बसपा के नेतृत्व को जरूर विचार करना चाहिए कि उसके वोटर को किस तरह प्रताडि़त किया जा रहा है। अगर उसके हित में सोचेंगी बहनजी, तो उनको इस गठबंधन के बड़े नेतागण से बात करके आने पर विचार करना चाहिए क्योंकि अंततः उन्हीं के लोग पीसे जा रहे हैं।
ये जो विशेष सत्र बुलाया गया है संसद का, इस पर कोई आकलन है आप लोगों का?
कुछ भी कह पाना जल्दबाजी होगी, लेकिन वे जो भी एजेंडा लेकर आएंगे वह सफल होने वाला नहीं है। जनता उनके राजकाज से, काम से ऊब चुकी है। उन्होंेने कहा था अच्छे दिन आएंगे। एनडीए का दस साल पूरा होने जा रहा है, जनता इनसे एक-एक चीज का हिसाब लेगी।
पिछले यूपी चुनाव में जो लाभार्थी वाले फैक्टर की खूब चर्चा हुई, उसकी कोई काट है क्या आपके पास?
देखिए, काट केवल आम जनता को जागरूक करना है। पॉलिसी लेवल पर तो राष्ट्रीय नेतृत्व के स्तर पर तय किया जाएगा, लेकिन आज की स्थितियों में जन जागरूकता ही सबसे बड़ी चीज है। अमेठी में उन्होंने कहा कि 13 रुपया किलो चीनी देंगे। उन्होंने 15 लाख काले धन की बात कही। बाद में उन्हीं के गृह मंत्री ने ऑन कैमरा बोला कि चुनावी जुमला था। ऐसी कितनी झूठी बातें उन्होंने कहीं। आम जनता सीधी-सादी है, उसे लगा सही कह रहे हैं, उसे कुछ मिल जाएगा।
पिछले लोकसभा चुनाव में न्याय योजना की बात चली थी। क्या उसे दोबारा इस बार किसी रूप में लाने की बात है?
निश्चित रूप से नेतृत्व लगा हुआ है, लेकिन हम जो भी कहेंगे उसे लागू करेंगे। कर्नाटक और हिमाचल में हमने जो भी कहा, उसे लागू कर रहे हैं।
क्या लगता है कि चुनाव तय समय पर होगा या पहले?
लग तो रहा है कि पहले करवा देंगे। जिस तरीके की तैयारी चल रही है लगता है पहले होगा।
आप लोगों की तैयारी है?
पूरी तैयारी है। हम लोग एकदम धनुष-बाण लेकर खड़े हैं। संगठन टाइट है। जिलों में आज भी बहुत जबरदस्त संगठन है। जहां जरूरत पड़ेगी, विचार करेंगे। अब ये नहीं कि सारी चीजों को बदल ही देंगे।
माने इस बार भी काशी में ही चुनावी अखाड़ा बनेगा? और तीसरी बार भी आप ही...
महादेव की नगरी है, बाबा विश्वनाथ क नगरी हव त (अखाड़ा) न बनी? मैं खुद बतौर प्रदेश अध्यक्ष कह रहा हूं कि मुझसे कहा भी जाएगा तो कहीं से चुनाव नहीं लड़ूंगा। हम लोग तो मांग कर रहे हैं कि प्रियंका जी आ जाएं लड़ने के लिए। हर कार्यकर्ता चाह रहा है कि वे आएं और लड़ें। जितनी अपनी क्षमता और ताकत है, उससे कई गुना ज्यादा दम से उतर कर हम लोग काम करेंगे। धरती हमारी है, हराएंगे। महादेव का आशीर्वाद मिलेगा, जीतेंगे चुनाव।