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इंटरव्यू : सुदीप शर्मा - "कोहरा एक जमीन से जुड़ी कहानी है, जो जुर्म से आगे की बात कहती है"

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दर्शक क्राइम, थ्रिलर कॉन्टेंट को लेकर उत्साहित रहते हैं। फिल्म निर्माता इस बात को...
इंटरव्यू : सुदीप शर्मा -

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दर्शक क्राइम, थ्रिलर कॉन्टेंट को लेकर उत्साहित रहते हैं। फिल्म निर्माता इस बात को भली भांति जानते हैं और इसी का नतीजा है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर क्राइम, थ्रिलर, पुलिस इन्वेस्टिगेशन पर आधारित फिल्मों और वेब सीरीज की कोई कमी नहीं है। नेटफ्लिक्स पर 15 जुलाई 2023 से वेब सीरीज "कोहरा" प्रसारित होने जा रही है, जो कि क्राइम एवं पुलिस इन्वेस्टिगेशन पर आधारित है। कोहरा के बारे में इसके शो रनर सुदीप शर्मा से आउटलुक के मनीष पाण्डेय ने बातचीत की। 

 

साक्षात्कार से मुख्य अंश :

 

 

कोहरा की कहानी में ऐसी क्या बात थी, जो आपने इसे सिनेमा के माध्यम से जाहिर करने का फैसला किया ?

 

कोहरा की कहानी की खास बात यह है कि यह शुरूआत में एक क्राइम एवं पुलिस इन्वेस्टिगेशन की कहानी मालूम होती है। मगर जैसे जैसे कहानी की परतें खुलती हैं, हमें मालूम होता है कि कहानी के अन्य पहलु भी हैं। कोहरा की कहानी में परिवारों में होने वाले मनमुटाव हैं, हमारे आस पास के युवाओं की कुंठाएं हैं, नशे की समस्या है। इस तरह कोहरा केवल क्राइम शो न होकर एक ऐसा शो है, जो समाज के कई हिस्सों को छूता है। इसी बात ने मुझे प्रेरित किया कि कोहरा की कहानी दर्शकों तक पहुंचनी चाहिए। 

 

 

 

कोहरा के निर्माण में किस तरह की चुनौतियां पेश आईं ? 

 

कोहरा की शूटिंग कोविड महामारी के दौरान हुई। इस कारण वेब सीरीज में काम करने वाले विदेशी कलाकारों को लेकर हमें इंतजार करना पड़ा। उनके लिए कोरोना के बीच, भारत आना और शूटिंग करना आसान नहीं था। दूसरी चुनौती हमारे सामने यह थी कि हम कहानी के साथ न्याय कर सकें। इसलिए हमने कहानी से लेकर किरदारों की कास्टिंग, उनकी भाषा पर काम किया। यही कारण है कि इस शो को बनने और रिलीज होने में 3 साल का समय लग गया।

 

 

 

आप कोहरा के शो रनर हैं। हमारे दर्शकों के लिए बताइए कि शो रनर का क्या काम होता है और इसकी जरूरत क्यों पड़ी? 

 

शो रनर का अर्थ है वेब शो का सूत्रधार, जो वेब शो की निर्माण यात्रा में हमेशा मौजूद रहता है।शो रनर किसी भी शो के निर्माण से पहले जुड़ जाता है और जब तक शो रिलीज नहीं होता, तब तक शो के साथ जुड़ा रहता है। शो रनर स्क्रिप्ट तैयार करने, कास्टिंग, प्री प्रोडक्शन, पोस्ट प्रोडक्शन, पीआर एंड मार्केटिंग, शो रिलीज, शो के आर्थिक मैनेजमेंट जैसी सभी जिम्मेदारियां उठाता है। यह काम क्रिएटिव भी है और प्रबंधन से जुड़ा हुआ भी है। हमारी इंडस्ट्री में इसकी जरूरत विशेष रूप से वेब शो निर्माण के दौरान पड़ने लगी। फिल्मों की तुलना में वेब शो बनाने में काफी अधिक समय लगता है। फिल्मों में निर्देशक को जहाज का कप्तान कहा जाता है। जबकि वेब सीरीज में निर्देशक प्री प्रोडक्शन के समय जुड़ता है। यानी एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत होती है, जो पहले दिन से, जब सीरीज की स्क्रिप्ट लिखी जा रही हो, वेब शो से जुड़ा हो। यह जरूरत शो रनर पूरी करता है। पश्चिम में यह प्रचलन काफी समय से है। हमने अपने यहां यह लागू करना शुरू किया है और इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं।

 

 

 

 

सिनेमा के क्षेत्र में कदम रखने के पीछे आपका क्या उद्देश्य रहा ? 

 

मेरे अंदर हमेशा से ही इस देश, इस समाज को लेकर कई कहानियां रही हैं, जिन्हें मैं सबके साथ साझा करना चाहता था। जब मैंने सिनेमा के माध्यम के बारे में जाना तो मुझे महसूस हुआ कि यह बहुत सशक्त माध्यम है। मुझे लगा कि यही मेरी आवाज बन सकता है। उसी क्षण मैंने निर्णय लिया कि मैं अपनी कहानियों को सिनेमा के माध्यम से जाहिर करूंगा। मुझे सबसे खूबसूरत बात यह महसूस होती थी कि सिनेमा में आपको सब कुछ खोलकर रखने की जरूरत नहीं है। यहां काफी कुछ होता है जो परत के नीचे होता है।और असली संदेश उसी में छिपा होता है। सिनेमा की यह बात ही मुझे रोमांचित करती है।

 

 

आपने अपने पिछ्ले शो पाताल लोक के माध्यम से भी एक गम्भीर कहानी कही थी। और अब कोहरा में भी आप बेहद संवेदनशील विषय को लेकर आए हैं। क्या भविष्य में कुछ अलग रंग का कॉन्टेंट भी आपके द्वारा बनाया जाएगा? 

 

मुझे उन कहानियों को कहने में बहुत मजा आता है, जो जड़ों से जुड़ी होती हैं। कोहरा की कहानी भी एक ऐसी ही कहानी है, जो पंजाब की आत्मा को कहती है। इन कहानियों के साथ न्याय करने में जीतोड़ मेहनत तो लगती है लेकिन जब आप सफलता के साथ कहानी कह लेते हैं तो बहुत सुकून भी मिलता है। यह ठीक बात है कि मेरी पिछली कुछ कहानियां संवेदनशील और गंभीर किस्म की थीं। मगर उन कहानियों को कहे बिना मुझे मुक्ति नहीं थी। अपने दर्शकों के लिए मैं बताना चाहता हूं कि मैं अब एक कॉमेडी प्रोजेक्ट शुरू करने वाला हूं। मेरे कोशिश रहेगी कि मैं अपने अगले काम से लोगों को हंसा सकूं, उनके चेहरे पर मुस्कान ला सकूं।

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