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मक्का में कभी गाय की कुर्बानी नहीं हुई: इंद्रेश कुमार

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) की पहल से बने मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के बैनर तले मेवात के फिरोजपुर झिरका में हुए एक बड़े सम्मेलन में लगभग 100 मुस्लिम गोपालकों को सम्मानित किया गया। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच आरएसएस की ओर से मुस्लिम समुदाय के बीच सामाजिक कार्यों के लिए बनाई गई एक संस्था है। इस मौके पर संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार से मुसलमानों से जुड़े ताजा मसलों पर बातचीत की गई-
मक्का में कभी गाय की कुर्बानी नहीं हुई: इंद्रेश कुमार

सवाल- इस सम्मेलन का उद्देश्य?

इंद्रेश कुमार - गाय ईश्वर की सृष्टि को एकमात्र प्राणी है, जो कुछ भी खाए, खराब भी खाए तो चार चीजें वापस करती है। दूध, जो अमृत है, गोबर जो गरीबों का सीमेंट है, मूत्र जो पूर्ण औषधी है और जुगाली जो ऑक्सीजन है। गाय, बच्चे से लेकर बूढ़े तक को, बिना जात, भाषा, धर्म में भेदभाव किए लाभ देती है। विश्व की 84 फीसदी जनसंख्या इसके दूध पर निर्भर है। गाय भूत-प्रेत से रक्षा करती है, कुछ मिनट उसे सहलाने से ब्लड प्रेशर सामान्य होता है और गुस्सा कम होता है। गाय की महत्ता पर जागृति लाने के लिए यह सम्मेलन था।       

 

सवाल- शुरूआत मेवात से ही क्यों?

इंद्रेश कुमार - हमारे सामने प्रश्न था कि हम यह कार्यक्रम कहां रखें ? सामाजिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक-भौगौलिक जायजा लेने के बाद पता लगा कि राजस्थान और हरियाणा का मेवात गोश्त, गो-तस्करी, गो-कुर्बानी का केंद्र है। हमने सोचा कि इस कुरीति से मुक्ति के लिए यहां-वहां हाथ मारने की बजाय यहीं से आगाज किया जाए। यह बृज भूमि भी रही है। मेवात का मुसलमान धर्म परिवर्तित मुसलमान है, जिनका मौलिक जीन तो बदला नहीं है। इसलिए इस मिशन के लिए मेवात चुना गया।

 

सवाल- मीटबैन पर विवाद है, आप क्या कहेंगे?  

इंद्रेश कुमार - विवाद का कारण क्या बना? जैन समुदाय का पर्यूषण पर्व। दो-तीन राज्यों ने अपील की कि इस समय में मांसाहार न करें। हर मत-पंथ के कार्यक्रम आते हैं, जिनमें सरकारें सुविधाएं देती हैं। जैन मत के पर्यूषण पर्व पर सरकार ने यह सुविधा दी। सभी को इसका सम्मान करना चाहिए था लेकिन ऐसा लगता है कि ज्ञान के अभाव में अज्ञान के प्रभाव में  दोष होता है। जो स्वागत होना चाहिए था उसकी जगह बैन क्यों लगाया, बैन क्यों लगाया हो रहा है। बैन कुछ नहीं है, आपके पास सारे दिन हैं तरह-तरह का खाने के लिए।

 

सवाल- मीटबैन के बीच गोमांस पर चर्चा क्यों हो गई?

इंद्रेश कुमार - मीटबैन के बहाने कुछ मुसलमान नेताओं ने मुसलमानों में कट्टरता पैदा कर वोटबैंक की राजनीति शुरू की, फायदा यह रहा कि इसमें बहस निकली कि आखिर गोश्त और गाय की मुस्लिम समुदाय में जगह क्या है? यह बहस 800-900 सालों से गौण थी। मक्का में कभी गाय की कुर्बानी नहीं हुई। रसूल साहब ने कभी गोमांस नहीं खाया। उन्होंने कहा कि गोश्त बीमारी है, दूध शिफा और इलाज है। कुरान शरीफ में कहीं नहीं आता है कि गाय की कुर्बानी दी जाए। इन फैसलों से कट्टरता और वोटबैंक की राजनीति करने वालों को परेशानी हुई है। गाय की कुर्बानी दंगों का कारण भी बनी रहती थी। दंगों से मुक्त होना था तो इसकी (गाय की ) ठीक कल्पना बननी चाहिए थी। मुसलमान सोच समझ नहीं रहा था कि कुरान शरीफ में असल में क्या लिखा है। कुरान का सबसे बड़ा अध्याय सुरा-अलबकर है, जो गाय पर है। सोचने लायक बात है कि कुरान शरीफ के एक अध्याय का नाम गाय पर कैसे? किसी गलत- खराब चीज पर तो ऐसा नहीं हो सकता? गाय पवित्र है, तभी गाय के नाम पर अध्याय है। कोई कैसे बोल सकता है कि बीमारी खाओ, बीमार हो। गाय खाना दोजख है। 

 

सवाल- भाजपा की ओर से अल्पसंख्यकों के नाम पर सिर्फ मुसलमानों को संगठित करने की वजह?

इंद्रेश कुमार - अल्पसंख्यकों के नाम पर नेताओं और मीडिया को मुसलमानों के अलावा और कोई अल्पसंख्यक दिखाई नहीं देता। बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई, सिख कोई नहीं। अल्पसंख्यकों पर बहस होने पर कोई मीडिया हाउस जैन, पारसी या सिख को बुलाते हैं क्या?  भारत में फैशन हो गया है कि अल्पसंख्यकों के मायने मुसलमान, नॉट 6 ओनली वन। यह रोग कोई पार्टियों का नहीं है बल्कि मीडिया का रोग है। पर्यूषण पर्व भी तो अल्पसंख्यकों का त्योहार है। अगर एक अल्पसंख्यक दूसरे अल्पसंख्यक का विरोध करेगा तो यह धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा है। किसी मीडिया ने इस पर बोला ? वहां (महाराष्ट्र में) जैन समाज अच्छी तादाद में है, सरकार ने धर्मनिरपेक्ष काम किया या सांप्रदायिक, मानवीय काम किया या हिंसक, सरकार ने धर्मनिरपेक्षता परोसी है। धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्र, मानवता बचाने वाले कटघरे में हैं और इसकी धज्जियां उड़ाने वालों की चर्चा है। मीडिया इस रोग से अपने को मुक्त करे।

 

सवाल- असदुद्दीन औवेसी बिहार चुनाव के जरिये उत्तर भारत की राजनीति में दाखिल हो चुके हैं, संघ के वरिष्ठ नेता होन के नाते आप क्या कहेंगे?

इंद्रेश कुमार - मालिक से प्रार्थना करुंगा कि उन्हें सदबुद्धि आए। कट्टरता, हिंसा, बांटना, लड़वाना और भड़काने को अपने जहन से मुक्त करें। मेरी बात उन तक पहुंचा दिजिएगा। मैं उनके लिए प्रार्थना कर सकता हूं। वो जो उगलते हैं, कभी-कभी मुस्कराते हुए, कुछ प्यार भरी, मोहबब्त की, भाईचारे की बात भी कर दिया करें।

 

सवाल- गुजरात और मुजफ्फरनगर दंगों के बाद मुसलमानों में भाजपा के प्रति अविश्वास आया है। क्या कहेंगे?

इंद्रेश कुमार - समय ने यह साबित कर दिया है कि दंगे करवाने वाली सो-कॉलड धर्मनिरपेक्ष पार्टियां थीं। पिछली यूपीए सरकार ने पूरी ताकत से जोर लगाया, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट, एसआईटी, निचली अदालतों, मीडिया का सहारा ले, नरेंद्र मोदी पर हमला किया। दस सालों में 10-20 हजार करोड़ रूपये खर्च दिए। आखिरकार वे फेल हो गए। अभी भी अगर ऐसा कहा जा रहा है तो यह सवाल ही गलत है। समय ने साबित कर दिया कि नरेंद्र मोदी अपराधी नहीं था। सीबीआई, एसआईटी, सुप्रीम कोर्ट सभी साबित कर चुके हैं। अब गुजरात दंगे नहीं तथा-कथित गुजरात दंगे बोलें। फिर लिखें। अगर ऐसा नहीं है तो आप गलत खेल रहे हैं या किसी षडयंत्र का हिस्सा हैं। जहां तक बात मुजफ्फरनगर दंगों की है तो एक ओबीसी लड़की थी, दो लड़कों ने उसे छेड़ा, जो मजहब से मुसलमान थे। उनके माता-पिता कहते कि उनके बच्चों से गलती हुई है, माफी मांगते केस खत्म हो जाता। लेकिन उन्होंने इन्हें मार दिया, इन्होंने उन्हें मार दिया। पुलिस दोनों ओर के दोषियों को गिरफ्तार कर लेती तो दंगे नहीं होते। कोई शख्स इंसानियत, मजहब से नहीं चला, रसूल से नहीं चला, परिणाम क्या निकला? वहां हुए नरसंहार का जवाब कौन देगा? आजम खां या मुलायम सिंह। वहां मरने वालों में मुसलमान ज्यादा थे, हिंदू कम, उजड़ने वालों में मुसलमान ज्यादा थे, आज तक वे अपने घर वापस न जा सके। नेताओं को कुर्सी मिल गई लेकिन मुसलमान तो अगली पीढ़ी तक अपने गांव नहीं जा सकते। सरकार कुछ नहीं करेगी, भिखारी बनाकर कहीं झोंपड़ी बनाकर दे देगी। इसलिए दंगा मुक्त हिंदोस्तान करना होगा।

 

सवाल- कैसे होगा?

इंद्रेश कुमार - ऐसा हो सकता है। नेताओं की सुननी बंद कर दो, अपने जहन की सुनो। इंसानियत की सुनो, मौलाना-पंडितो से संभल कर रहो, इंकलाब आ जाएगा। भड़काने वाली शैतान की आवाज है, भाईचारे की अपील फरिश्ते की आवाज है। शैतान की सुनेंगे तो खून बहेगा, घर जलेंगे, लोग उजड़ेंगे। इंसान बनकर जिएं, खुद्दार बनकर जिएं, वोट बनकर बिकें नहीं।

 

सवाल- राजस्थान में बकर ईद की छुट्टी खारिज कर दी ?

इंद्रेश कुमार - राजस्थान वालों से पूछो।

 

सवाल- औरंगजेब सड़क के नाम पर विवाद पर क्या कहेंगे?

इंद्रेश कुमार - अकबर को इस्लाम से बर्खास्त कर दिया गया था। अंग्रेजों ने उसे डी-ग्रेड बताया। क्योंकि उसने एक नया मजहब चलाया दीन-ए-इलाही। अपने को पैगंबर घोषित कर दिया। उसके खिलाफ सारे देशों से फतवे आए थे, अब आप इसे औरंगजेब विवाद से खुद जोड़ लें।   

 

सवाल- आए दिन भाजपा सांसद मुसलमानों को पाकिस्तान जाने की सलाह देते हैं, केंद्रीय नेतृत्व चुप्पी साधे रहता है, क्यों ?

इंद्रेश कुमार - एक बात साफ है कि पाकिस्तान का झंडा लहराना, पाकिस्तान जिंदाबादा बोलना, पाकिस्तानियों से कानून-संविधान से हटकर वार्ता करना इस्लाम के अनुसार यह बेईमानी है और देश के हिसाब से गद्दारी है। इसे इस्लामिक नजरिये से लेंगे। मजहब-ए-इस्लाम में बोला गया है कि हुब्बुलवतनी यानी सभी मुसलमानों का वतन हिंदोस्तान है और अगर वे हिंदोस्तान जिंदाबाद की बजाय पाकिस्तान जिंदाबादा बोलते हैं, तो ईमान वाले नहीं बल्कि बेईमान हो गए हैं। मैंने मुसलमान कॉन्फ्रेंस से पारित करवाया है। अब उसे क्या सजा दें, गोली मार देनी चाहिए, जेल में डाल दें, फांसी पर लटका दें, हमने कहा कि सुधरने वाली सजा दें। इसलिए उसे उसके परिवार और सामान के साथ पाकिस्तान भेज दो। वहां पाकिस्तान जिंदाबाद बोलेगा तो न गद्दार कहलाएगा न बेईमान। समस्या क्या है, जिन्हें देश से प्यार नहीं वे पाकिस्तान चले जाएं, वहां रहें। जब वे आपको प्यार नहीं करते, आपकी सरजमीं को इज्जत नहीं देते तो परेशान क्यों रहें? दुखी क्यों रहें, बाइज्जत पाकिस्तान भेजे जाने चाहिए। बस कोई-कोई इसे गुस्से से बोल देता है और हम जैसे मुस्करा कर। अरे उस समय 10-20 करोड़ पाकिस्तान गए थे तुम भी चले जाओ। 

 

सवाल- रिपोर्ट है कि कई जगहों पर पाकिस्तान का झंडा फहराने वाले आरएसएस कार्यकर्ता हैं?

इंद्रेश कुमार - अखबार अगर सच होते तो बहुत अच्छा होता। अखबार में झूठ छापना फैशन है।

 

सवाल - वो कैसे?

इंद्रेश कुमार - आपने तो यह भी छाप दिया था कि इंद्रेश जी आप आतंकवादी हैं। मैंने पूछा कि आपने किसी से प्रमाण मांगे, आपको किसी ने प्रमाण दिए? जब प्रमाण मांगे नहीं और दिए नहीं तो ऐसी बेवकूफी और पाप क्यों? किसी ने आपसे बोला, तो आप बोलते कि हम इंद्रेश जी को जानते हैं, मैं छुपा नहीं था, सार्वजनिक  था, मुझसे बात करते। आपको किसने अधिकार दिया कि आप मेरा चरित्र हनन करें? आप मुझसे सवाल पूछने का हक तो  बहुत पहले खो चुके हैं। आप न समाज के साथ हैं, न देश के साथ, न धर्म के साथ, न जनता के साथ, ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए।

 

सवाल- पहली दफा हुआ कि केंद्र सरकार ने आरएसएस में हाजिरी लगाई, काफी निंदा हो रही है।

इंद्रेश कुमार - कुछ लोगों के पास नफरत के अलावा कुछ नहीं है। मालिक से दुआ है उन्हें सदबुद्धि दे।

 

सवाल- बोला जा रहा है कि अंदरखाते असदुद्दीन औवेसी को भाजपा ने समर्थन दिया है?

इंद्रेश कुमार - तथ्यहीन, जड़विहीन बातों का कोई जवाब नहीं होता।

 

           

 

 

 

 

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