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संसदीय कमेटी करे क़ैराना की जांच : केसी त्यागी

उत्तर प्रदेश की राजनीति को गरमा देने वाले क़स्बे क़ैराना में कुछ सांसदो के साथ दौरा कर लौटे जेडीयू के राज्यसभा सदस्य केसी त्यागी दावा करते हैं कि क़ैराना से पलायन के दावे सरासर बकवास हैं । बक़ौल उनके, विधानसभा चुनावों की आहट से भाजपा बेचैन है और इसीलिए हवाई मुद्दे गढ़ रही है । पेश है केसी त्यागी से रवि अरोड़ा की इसी मुद्दे पर हुई खास बातचीत के कुछ अंश -
संसदीय कमेटी करे क़ैराना की जांच : केसी त्यागी

आख़िर आप लोगों को क़ैराना जाने की क्या सूझी ?

मेरे साथ क़ैराना गए सीपीआई के डी.राजा, सीपीएम के मोहम्मद सलीम, आरजेडी के मनोज झा और एनसीपी के डीपी त्रिपाठी में से किसी को भी उत्तर प्रदेश से चुनाव नहीं लड़ना। हम लोगों में से कोई भी भाजपा अथवा समाजवादी पार्टी से भी नहीं है। हम लोग तो सच्चाई जानने और उसे दुनिया के समक्ष लाने के लिए क़ैराना गए थे और उसमें हम सफल भी हुए।

 

तो क्या है क़ैराना का सच ?

क़ैराना की सच्चाई विधानसभा चुनाव की तैयारियां भर हैं। मुद्दों की तलाश में बेचैन भाजपा कोई मौक़ा हाथ से नहीं जाने देना चाहती। हमने ख़ुद जाकर हुकुम सिंह की फ़ेहरिस्त की जांच की और उनके दावे हवाई पाए।

 

क्या सचमुच क़ैराना में कोई पलायन नहीं हुआ ?

रोज़ी रोटी की तलाश में हमेशा से गांव से लोग शहर आते ही हैं और छोटे क़स्बों से बड़े शहरों में लोग पहुंचते हैं। यह एक सामान्य स्थिति है। हुकुम सिंह की सूची में दर्शाए गए अधिकांश लोग वर्षों पूर्व काम धंधे की तलाश में अथवा बच्चों को अच्छी शिक्षा की गरज से अन्यत्र चले गए। क़स्बा छोड़ने वालों में हिंदू भी हैं और मुसलमान भी। इस पर इतनी हाय तौबा क्यों?

 

हुकुम सिंह के दावे को हवाई आप किस आधार पर कह रहे हैं ?

उनकी सूची को हमने ही नहीं ज़िला प्रशासन और तमाम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की टीमों ने जांचा और परखा और हम सभी इस नतीजे पर पहुंचे कि दावा 90 प्रतिशत झूठ है ।

 

क्या क़ैराना में कोई समस्या ही नहीं है ?

कम से कम साम्प्रदायिक तनाव की तो कोई समस्या नहीं है। यह क्षेत्र गन्ना किसानो का है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहारनपुर की अपनी रैली में दावा किया था कि गन्ना किसानो का अधिकांश भुगतान कर दिया गया हैं और मात्र छः सौ करोड़ रुपये बक़ाया है। यह सच नहीं है। गन्ना किसानो का आठ हज़ार करोड़ रुपया अभी बकाया है। यह बड़ी समस्या है। इसके अतिरिक्त क़ानून व्यवस्था सम्बंधी भी कुछ समस्याएं हैं मगर उसका समाधान वह नहीं है जो भाजपा चाहती है।

 

अब आप लोग क्या चाहते हैं ?

हम प्रधानमंत्री से मांग कर रहे हैं कि वह सर्वदलीय सांसदों की एक कमेटी बना कर क़ैराना भेजें ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। हम चाहते हैं कि इस मुद्दे पर चर्चा हो और जनता को क़ैराना के साथ-साथ यह भी बताया जाए कि हाल ही के वर्षों में बुंदेलखंड से कितने हज़ार लोगों ने पलायन किया है ?

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