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मुंह से फैलता है कोरोना वायरस, डेंटिस्ट और मरीज दोनों के लिए सावधानी जरूरीः डॉ. कोहली

कोविड-19 महामारी का डर पूरी दुनिया में है। यह घातक तो है ही, इस पर नियंत्रण पाना भी मुश्किल हो रहा है।...
मुंह से फैलता है कोरोना वायरस, डेंटिस्ट और मरीज दोनों के लिए सावधानी जरूरीः डॉ. कोहली

कोविड-19 महामारी का डर पूरी दुनिया में है। यह घातक तो है ही, इस पर नियंत्रण पाना भी मुश्किल हो रहा है। दुनिया में बड़ी संख्या में डॉक्टर और दूसरे स्वास्थ्यकर्मी भी इस महामारी की चपेट में आ रहे हैं। अभी तक की रिसर्च से पता चला है कि कोरोना वायरस मुंह से ज्यादा फैलता है और डेंटिस्ट मुंह का ही इलाज करते हैं, इसलिए उनमें संक्रमण का खतरा काफी रहता है। लेकिन कुछ सावधानियां बरत कर इस संक्रमण से काफी हद तक बचा जा सकता है। यह मरीजों के साथ डॉक्टरों के लिए भी जरूरी है। मरीजों को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए और डॉक्टरों को किन प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए, इस पर आउटलुक के एस.के. सिंह ने  जाने-माने डेंटिस्ट और  डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व प्रेसिडेंट  डॉ. अनिल कोहली से बात की। मुख्य अंशः-

दांतों के इलाज में कोरोना वायरस से संक्रमण का खतरा कैसे है?

अभी तक की जानकारी के अनुसार यह वायरस तीन तरीके से फैलता है। चीन से इसकी शुरुआत हुई तब कहा गया कि यह ड्रॉपलेट इंफेक्शन है। ड्रॉपलेट इंफेक्शन का मतलब है कि जब हम बातें करते हैं या थूकते हैं तो हमारे मुंह से वायरस निकलता है और दूसरों को संक्रमित करता है। इसके बाद कहा गया कि यह ड्रॉपलेट के साथ एरोसॉल इंफेक्शन भी है। एरोसॉल का मतलब है कि जब हम कोई ऐसा काम करते हैं जिसमें हवा या पानी का दबाव होता है, जैसे डेंटिस्ट द्वारा ड्रिल का इस्तेमाल। इससे वायरस आस-पास के वातावरण में फैल सकता है। अब कहा जा रहा है कि यह वायरस हवा से भी फैलता है। इस वायरस का आकार थोड़ा बड़ा है, इसलिए यह थोड़ी देर हवा में रहता है और फिर किसी सतह पर जम जाता है।

यह वायरस हमारे शरीर को किस तरह प्रभावित करता है?

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वायरस फेफड़ों और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। अगर वायरस फेफड़े तक पहुंचा है तो व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होगी। अगर यह पाचन तंत्र तक गया तो दस्त जैसी बीमारी लग सकती है।

क्या हर व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण दिखेंगे?

वायरस अलग-अलग लोगों को अलग तरीके से प्रभावित करता है। यह जब हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो शरीर उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है। एंटीबॉडी उस वायरस से लड़ती है। किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में जो एंटीबॉडी बनी, वह खुद लड़ कर उस वायरस को खत्म कर देती है। हो सकता है उस व्यक्ति को इसका पता भी न चले। इस तरह उस व्यक्ति में वायरस को लेकर प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। कहने का मतलब यह है कि बड़ी संख्या में लोग इससे प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन सबमें इसके लक्षण नहीं दिखेंगे। जिसके शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है, उसके रक्त से प्लाज्मा निकालकर किसी दूसरे संक्रमित व्यक्ति के शरीर में डाला जाता है। इससे उस व्यक्ति के शरीर में भी एंटीबॉडी बनती है।

लोगों को दिन में कई बार गर्म पानी पीने की सलाह दी जा रही है। यह कितना कारगर है?

कहा जा रहा है कि तापमान बढ़ने पर वायरस काफी हद तक निष्प्रभावी हो जाता है। जब हम गर्म पानी पीते हैं तो मुंह के भीतर का तापमान बढ़ता है और वायरस नष्ट हो जाता है। हालांकि अभी यह बात वैज्ञानिक तरीके से प्रमाणित होनी बाकी है।

बिना लक्षण के भी तो लोगों में संक्रमण पाया जा रहा है।

सामान्य तौर पर लोग यह मानकर चलते हैं कि वे संक्रमित नहीं हैं। लेकिन इनमें से अनेक लोग ऐसे हो सकते हैं जिनके शरीर के भीतर यह वायरस हो। वे किसी को भी संक्रमित कर सकते हैं। इस वायरस के संक्रमण के लक्षण 14 दिनों में सामने आते हैं। मान लीजिए किसी के शरीर में वायरस पहुंचने के 5 दिन बाद टेस्ट किया गया और उसमें उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई, लेकिन हो सकता है कि इसके 9 दिन बाद उसमें लक्षण नजर आने लगें।

इस संक्रमण का इलाज क्या है?

वायरस का इलाज तो वैक्सीन ही है, जैसे बीसीजी या मीजल्स की वैक्सीन दी जाती है। हालांकि कोविड-19 का वैक्सीन बनने में थोड़ा समय लग सकता है। अभी अलग-अलग देशों में इस पर शोध चल रहा है। वैक्सीन आने में एक से डेढ़ साल लग सकते हैं।

आम लोग और डॉक्टर इससे बचने के लिए क्या करें?

मुंह में जीभ के ऊपर और गले के भीतरी हिस्से में कीटाणु सबसे ज्यादा होते हैं। यह वायरस मुंह से न फैले, इसलिए मास्क पहनना जरूरी है। हवा में संक्रमण से बचने के लिए दो मीटर की दूरी यानी सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है। इसके अलावा साफ-सफाई भी चाहिए। डेंटिस्ट के लिए भी खुद को सुरक्षित रखना आवश्यक है। उन्हें पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) किट का इस्तेमाल करना चाहिए, इससे पूरा शरीर ढंक जाता है।

इंफेक्शन से बचने के लिए लोगों को क्या करना चाहिए?

महामारी को देखते हुए जब तक बहुत जरूरी न हो डेंटिस्ट के पास जाने से बचें। दांतों की सफाई के लिए भी अभी जाना उचित नहीं है। मास्क पहनने से काफी हद तक बचाव होता है, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और हाथों की बार-बार सफाई करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। दांतों के इंफेक्शन से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि चीनी या मीठी चीजों का बार-बार सेवन न करें। दूसरी महत्वपूर्ण बात है कि दिन में दो बार ब्रश करें, खासकर रात में सोने से पहले।

डेंटिस्ट को अपनी सुरक्षा कैसे करनी चाहिए?

आमतौर पर डेंटिस्ट बहुत कम सावधानी के साथ काम करते हैं, लेकिन इस वायरस के आने के बाद लोगों को अपने काम का तरीका बदलना पड़ेगा। जो भी मरीज आता है, डॉक्टर को यह मानकर चलना पड़ेगा कि वह कोरोना पॉजिटिव हो सकता है। उसे अपना बचाव करते हुए इलाज करना पड़ेगा। लॉकडाउन में भी अगर कोई मरीज आता है तो उसका इलाज करना चाहिए, लेकिन अपना बचाव करते हुए।

डेंटिस्ट इलाज के लिए क्या तरीका अपनाएं?

डॉक्टर को प्राथमिकता तय करनी चाहिए। जो मरीज सिर्फ दवा से ठीक हो सकते हैं, उन्हें दवा दीजिए। जैसे किसी को हल्की चोट लगी हो, या दांतों में ठंड लगती हो। डेंटिस्ट फोन पर भी दवा बता सकते हैं। दूसरा, कम से कम ड्रिलिंग या इस तरह का ट्रीटमेंट। तीसरा है इमरजेंसी, जैसे किसी का एक्सीडेंट हो गया हो। ऐसा भी हो सकता है कि कोई व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित हो और उसे दातों का भी इलाज कराना हो। उसका इलाज अस्पताल के डेंटल डिपार्टमेंट में करना उचित होगा।

मरीज और डॉक्टर को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

डॉक्टर के लिए अपना बचाव तो महत्वपूर्ण है ही। जब भी कोई मरीज डॉक्टर के पास जाए तो उसे डॉक्टर को यह बताना चाहिए कि उसकी ट्रैवल हिस्ट्री क्या है, कोविड-19 का कोई लक्षण है या नहीं। मरीज को यह भी देखना चाहिए कि डॉक्टर इनफेक्शन कंट्रोल के उपायों को अपना रहा है या नहीं। डॉक्टर को भी अपने कामकाज का तरीका पूरी तरह बदलना पड़ेगा। उन्हें इंफेक्शन कंट्रोल के लिए सभी प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ेगा। सरकार को यह नियम बनाना चाहिए कि किसी भी क्लिनिक के लिए इंफेक्शन कंट्रोल के उपायों को अपनाना जरूरी हो।

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