अब डायलिसिस कराने वाले मरीजों को हर दूसरे दिन डायलिसिस सेंटर नहीं जाना होगा। सरकार मरीजों के लिए घर पर ही डायलिसिस कराने की व्यवस्था करने जा रही है। यानी हीमो-डायलिसिस की जगह पेरिटोनियल डायलिसिस की जाएगी। इसके तहत मरीजों को एक पेरिटोनियल किट दी जाएगी और कुछ दवाएं दी जाएगी जिसके बाद वो घर बैठे ही डायलिसिस कर पाएंगे।
डायलिसिस के लिए पहले ही मरीज के पेट से एक रास्ता बना दिया जाएगा और ट्यूब निकाल कर छोड़ दिया जाएगा। इसके बाद मरीज को पेरिटोनियल किट और दवाइयां भी दे दी जाएगी, ताकि मरीज खुद या उनकी देखभाल करने वाले घर पर ही डायलिसिस कर लें। मरीज और उनकी देखभाल करने वालों को नेफ्रोलाॅजिस्ट या ट्रेंड हेल्थ स्टाफ की ओर से ट्रेनिंग दी जाएगी।
ये है प्रक्रिया
डायलिसिस की इस प्रक्रिया में मरीज के पेट में कैथेटर ट्यूब फिक्स कर बाहर निकाली जाती है। ट्यूब से पेरिटोनियम डायलिसिस फ्लूड डाला जाता है। इसकी मात्रा दो लीटर होती है। यह शरीर के अंदर 30 से 40 मिनट रहता है। पेट में लगे ट्यूब से एक और कैथेटर जोड़ा जाता है, इसी ट्यूब के सहारे खून के खराब पदार्थ बाहर आ जाते हैं। यह 24 घंटे में 3 बार करना होता है।
मुफ्त मिलेगी सुविधा
प्रधानमंत्री डायलिसिस प्रोग्राम के तहत ही इस योजना का विस्तार किया जा रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीजों को किट और दवा मुफ्त मिलेगी। दूसरे मरीजों के लिए रियासती दरों पर सरकार की तरफ ये सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
देश में हर साल सवा दो लाख से अधिक ऐसे मरीज हैं जिन्हें डायलिसिस की जरूरत पड़ती है और हर साल 3-4 करोड़ डायलिसिस की मांग होती है। इसे देखते हुए दो साल पहले सरकार ने प्रधानमंत्री डायलिसिस प्रोग्राम की शुरुआत की थी जिसके देश भर में अब तक 757 डायलिसिस सेंटर स्थापित किए जा चुके हैं। राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत सभी राज्यों में ये योजना लागू होगी।
(पीटीआई)