आधुनिक युग की बढ़ती मांगों ने आज विश्व के लगभग हर व्यक्ति के जीवन को तनावग्रस्त बना दिया है। हालांकि, मेरे लिए यह समझना आसान है कि कलेक्टर या अधिकारी पर काम का बोझ बहुत है। लेकिन, सच तो यह है कि हम सभी में रोजमर्रा के जीवन का तनाव है, स्वास्थ्य की चिंता है और आज की जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों का खौफ है। इन सब बातों ने मुझे यह सोचने पर मजबूर किया कि व्यक्तिगत स्तर पर मैं वजन कम करने और अपनी फिटनेस के लिए क्या कर सकता हूं? मैं पिछले दो वर्षों के अपने अनुभव को साझा करना चाहता हूं। शायद आपको भी मदद मिले।
दो वर्षों में मैंने 16 किलो वजन कम किया। मैंने सुबह जल्दी उठना शुरू किया। दिनभर की दौड़धूप के बावजूद मैं चुस्त दुरुस्त महसूस करता हूं और मैं अपनी ऊर्जा को दिनभर सकारात्मक कार्यों में लगा पाता हूं। मैं अब अच्छी तरह से नींद पूरी कर पाता हूं। इन सब बातों से लग रहा होगा कि मैं अपना ही ढोल पीट रहा हूं। लेकिन मैंने जो महसूस किया है वह बताना भी तो जरूरी है।
मेरे लिए यह सब इतना आसान भी नहीं था। लेकिन आपको मैं एक सरल रास्ता सुझा सकता हूं। उसके लिए मैं जिस रास्ते पर चला था, उसके बारे में जिक्र करना होगा- दो साल पहले जब मैं भोपाल में था, तब मैंने यह कोशिश शुरू की। मेरे एक मित्र की पत्नी, जो एक डॉक्टर हैं, ने मुझे यू-ट्यूब पर डॉ. दीक्षित की डाईट प्लान पर एक वीडियो के बारे में बताया। मेरे लिए इस वीडियो की विश्वसनीयता अधिक इसलिए थी क्योंकि इसमें कुछ भी बेचने की कोशिश नहीं की जा रही थी। इस वीडियो में दिन में दो बार आहार लेने और आहार को 55 मिनट के अंदर समाप्त करने के नियम को अपनाने पर जोर है | और यदि कोई डायबिटिक हो, तो रिफाइंड चीनी से परहेज करने का बताया गया है।
इसके पीछे जो बायोकैमिकल तर्क दिया गया है, वो बहुत सरल है– हर बार जब आप आहार लेते हैं तो शरीर में इंसुलिन रिलीज होती है। यदि अधिक इंसुलिन रिलीज होगी तो शरीर में इंसुलिन सहिष्णुता होगी और डायबटीज हो जाएगी।
जब मैं लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में उपनिदेशक बना तो मैंने इस डाईट को चुना। वहां मेरा परिवार मेरे साथ नहीं गया था और मुझे खाना पकाने का कोई अनुभव भी नहीं था। इसलिए मेरे लिए रात का भोजन छोड़ना शायद आसान था या यूं कहें मजबूरी थी। चूंकि मैं डायबटिक नहीं था तो मैं दिन में दो बड़े आहारों के साथ चीनी और चीनी से बने पदार्थ लेता रहा। मुझे रात को बहुत जोर से भूख लगती थी लेकिन मैं जैसे-तैसे उस पर काबू पाकर सो जाता था। कभी-कभी मैं चोरी से थोड़ा दूध-म्यूजिली खा भी लेता था।
नियमित व्यायाम और डाइट से मेरा वजन कम हो गया। कभी-कभी ऐसा भी समय आया जब मुझे इच्छाशक्ति में भारी कमी का अहसास हो रहा था। शायद इसलिए कि मेरा परिवार मुझसे दूर भोपाल में ही था। हालांकि डिनर किए बिना सो जाना बहुत बड़ा प्रयास था, लेकिन सुबह होते ही, खाने के लिए तड़प गायब होती थी और हैपी वैली में बैडमिंटन और स्कावश के कई गेम मैं मजे से खेल पाता था। यह मुझे थोड़ा अजीब लगता था क्योंकि मेरे पिछले भोजन और रात्रि में अंतराल कम था और पिछले भोजन और सुबह में अंतराल अधिक । मेरी भूख बढ़नी चाहिए थी।
इस स्थिति में ऑस्ट्रेलिया के अपने एक दोस्त के सुझाव पर मैंने “That Sugar Film” देखी। मूवी में रिफाइंड शुगर के बिजनेस के बारे में बताया गया है और कैसे इसकी लत समाज के लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह मूवी जोकि अच्छी-खासी डॉक्यूमेंटरी है, जिंदगी बदल देने वाली है। चीनी और मीठा ने आज समाज में लगभग हर व्यक्ति को अपने चपेट में ले लिया है। इस मूवी में यह स्पष्ट वर्णित है कि कैसे चीनी से हमारे सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। लेकिन भयानक बात यह है कि यह लत समाज के सबसे कमजोर वर्ग को ज्यादा प्रभावित करता है क्योंकि चीनी और मीठा सस्ता एवं आसानी से उपलब्ध है।
जब मैं समाज में इसकी लत की बात करता हूं तो मैं यह संकेत देना चाहता हूं कि एक व्यक्ति ही नहीं पूरा समाज शुगर की इस खतरनाक लत से ग्रस्त है। मूवी ने मुझे शुगर छोड़ने पर मजबूर किया और अचानक मैंने देखा कि मुझे रात को भूख के कारण जो पीड़ा होती थी, वो पूरी तरह से खत्म हो गई। यह क्या हो रहा है?
शुगर (कोई भी अत्यधिक ग्लेस्मिक इंडेक्स आहार) हमारे खून में ग्लूकोज लेवल को अत्यधिक बढ़ा देता है और थोड़ी देर बाद यह अत्यधिक कम हो जाता है। जब ग्लूकोज की मात्रा कम हो जाती है तो हमें और अधिक शुगर लेने की इच्छा होती है। इसका मतलब यह है कि यदि मैंने शुगर छोड़ा तो, “एक दिन में दो बार भोजन लेने” की दीक्षित डाईट को ज्यादा आसानी से कर पाऊंगा और सचमुच यही हुआ।
अगर आप अपने शरीर से इंसुलिन को निकलने के लिए बारह घंटे दे सकते हो, तो कीटोसिस प्रक्रिया शुरू होती है और वसा जलने लगती है। मेरा ऊर्जा स्तर इसलिए अच्छा था क्योंकि ग्लूकोज लेवल एकदम बढ़ने और क्रैश डाउन होने के बजाय स्थिर होकर धीरे से कम होता था। सुबह की खेलकूद गतिविधियों से अब वसा डिपॉजिट काफी कम हो गया क्योंकि इंसुलिन न रहने पर वसा जलकर शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है।
इससे होने वाला एक और अच्छा नतीजा है। दिन में पाचन प्रक्रिया भली-भांति पूरी हो जाती है, तो रात को नींद और अच्छे से पूरी होती है। समान घंटों की निद्रा से निद्रा की पूर्णता का आभास होता है या यूं कहें कि नींद गहरी और पूरी होती है।
रिफाइंड शुगर और चीनी वाले उत्पादों के खतरनाक प्रभाव के बारे में भावी और वर्तमान पीढ़ी को एकजुट होकर शिक्षित करने की जरुरत है। लोगों में इस बात की जागरुकता लाने से चीनी, फिटनेस तथा चिकित्सा का व्यापार जोखिम में आ जाएगा और इसलिए आप आश्चर्यचकित न हों यदि, आप तक ये सब बातें समय पर नहीं पहुंचती हैं।
संक्षिप्त में तीन आदतों को छोडें एवं तीन आदतों को अपनाएं। छोडें- शुगर (चीनी), स्नैक्स और सपर (रात्रि भोजन)। अपनाएं- खेलकूद, संगीत और अच्छी गहरी नींद। यदि आप चीनी से दूर रहना शुरू करते हैं तब यह यात्रा आपके लिए आसान हो सकती है। आप सभी को सुखद और स्वस्थ जीवन की शुभकामनाएं।
(लेखक भारतीय प्रशासनिक सेवा, मध्य प्रदेश कैडर के सदस्य हैं और ये उनके व्यक्तिगत विचार हैं।)