आज के दौर में कपिल शर्मा एकमात्र ऐसे हास्य कलाकार हैं, जिनके स्टारडम से बॉलीवुड के बड़े से बड़े सितारों को भी रश्क हो सकता है। अमृतसर के एक मध्यवर्गीय परिवार से निकल कर मुंबई की मायानगरी में शीर्ष तक पहुंचने वाले 41 वर्षीय ‘कॉमेडी किंग’ ने पिछले कुछ साल में टेलीविजन के छोटे परदे की बदौलत जैसी मकबूलियत हासिल की है वह बड़े परदे के बिरले सितारों को ही मयस्सर होती है। 17 मार्च को रिलीज होने जा रही नंदिता दास द्वारा निर्देशित अपनी फिल्म ज्विगाटो के प्रदर्शन के पूर्व, कपिल शर्मा ने अपनी नई फिल्म सहित अमृतसर से मुंबई तक के अपने सफर के बारे में गिरिधर झा से विस्तार से बातचीत की। साक्षात्कार से मुख्य अंश:
ज्विगाटो में आपका किरदार, आपकी पिछली दो फिल्म फिल्मों किस किस को प्यार करूं (2015) और फिरंगी (2017) से कितना अलग है?
यह किरदार पिछली फिल्मों से इस तरह अलग है कि यह हास्य भूमिका नहीं है। इसमें एक साधारण फूड डिलीवरी बॉय का संघर्ष है, त्रासदी से जूझने की प्रक्रिया है। कई लोगों ने मुझसे कहा कि शायद यह किरदार मेरे लिए चुनौतीपूर्ण रहा होगा, जबकि सच तो यह है कि मैं टेलीविजन से पहले के दौर में ऐसे कई छोटे-बड़े काम खुद ही कर चुका हूं। इसलिए मुझे उन अनुभवों से इस किरदार को निभाने में सहायता मिली।
जब फिल्म की निर्देशक नंदिता दास इस कहानी को लेकर आपके पास आईं तो आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी?
हिंदी सिनेमा जगत में ऐसा चलन है कि आप किसी खास छवि में देखे और सराहे जाते हैं तो सभी लोग वैसी ही भूमिकाओं को निभाने के लिए आपके पास ऑफर लेकर आते हैं। जब नंदिता दास मेरे पास आईं तो पहले तो मुझे आश्चर्य हुआ। मगर फिर खुशी हुई कि उन्होंने एक अच्छे किरदार को निभाने के लिए मुझे योग्य समझा। मुझे ऐसा महसूस होता है कि मैंने कॉलेज के दिनों में जो थिएटर किया था, उसका परिणाम है कि मैं एक संजीदा भूमिका निभा सका। नंदिता दास ने जब मुझसे फिल्म के सिलसिले में मुलाकात की तो उनका यही कहना था कि मेरी सरलता, सहजता और आम इंसान की छवि ही मुझे इस फिल्म और किरदार के लिए सुपात्र बनाती है।
ज्विगाटो में काम करने के पीछे क्या अपनी छवि से बाहर निकलने की आपकी सुनियोजित कोशिश के रूप में देखा जाए?
नहीं। मुझे अपनी छवि से प्रेम है। मुझे इस छवि के लिए दर्शकों का भरपूर प्यार और सम्मान मिला है। इसलिए ज्विगाटो में काम करने के पीछे, अपनी छवि से बाहर निकलने की सुनियोजित कोशिश नहीं थी। लेकिन यह जरूर था कि हर कलाकार की तरह मैं भी अपने काम में विविधता चाहता था। मुझे अवसर मिला तो मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की है।
फिल्मों में नंदिता दास और आप दो विपरीत ध्रुवों के सामान हैं। वे संजीदा फिल्में बनाने के लिए जानी जाती रही हैं, आप कॉमेडी के बादशाह हैं। उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
नंदिता दास खुद एक शानदार अभिनेत्री हैं और अनुभवी हैं तो मुझे उनसे अभिनय की छोटी-छोटी बारीकियां सीखने को मिलीं। उनके साथ काम करने का अनुभव शानदार रहा। जिस तरह का सार्थक सिनेमा वे बनाती हैं, मुझे खुशी है कि मैं उनके खास प्रोजेक्ट का साझीदार बन सका।
करियर के इस मुकाम पर, अमृतसर से मुंबई तक के अपने सफर को जब आप पीछे मुड़कर देखते हैं तो कैसा महसूस करते हैं?
यह सफर शानदार रहा है। मेरा ऐसा मानना है कि हर व्यक्ति, जिस भी जगह अपना जीवन जी रहा है, वहां किसी न किसी स्तर का संघर्ष कर रहा है। इसलिए मैं अपने संघर्ष को महिमामंडित नहीं करता हूं। वह समय भी अच्छा था, जब जेब में पैसे नहीं होते थे लेकिन अपने यार, दोस्तों के साथ नाटक किया करते थे। आज मैं जिस जगह हूं, जो सुख प्राप्त कर रहा हूं, वह इस सफर का ही परिणाम है।
बचपन को याद करते हुए बताइए कि आपको किस तरह कॉमेडी में रुचि पैदा हुई?
स्कूल के दिनों में मुझे गाने का बड़ा शौक था। स्कूल में गुरु नानक पर्व और कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे। मैं हमेशा ही इन कार्यक्रमों में हिस्सा लेता और भजन सुनाया करता था। तब लगता था कि आगे चलकर गायक ही बनना है। जब कॉलेज में दाखिला लिया तो नाटकों की दुनिया ने अपनी तरफ आकर्षित किया। मगर तब भी विशेष रूप से ऐसा कोई ख्याल नहीं था कि कॉमेडी के क्षेत्र में कदम रखना है। आप कह सकते हैं कि कॉमेडी मेरे जीवन में इत्तेफाक से घटित हुई। यह नियति ही थी कि रास्ते बनते गए, मैं कदम बढ़ाता गया और फिर कॉमेडी के क्षेत्र में ही मेरी पहचान बन गई। कॉलेज के दिनों में की गई कॉमेडी स्किट से मुझे प्रेरणा मिली कि मैं लाफ्टर चैलेंज में हिस्सा लूं और इस प्रेरणा ने ही मेरा जीवन बदल दिया। लाफ्टर चैलेंज में नवजोत सिंह सिद्धू और शेखर सुमन जैसे काबिल लोगों के सामने प्रस्तुति देने का अवसर मिला। लाफ्टर चैलेंज से नाम, पैसा मिला। उसके बाद मेरे जीवन को दिशा मिली और मैं अपने लक्ष्य की तरफ एकाग्रता से बढ़ता चला गया।
कॉलेज के दिनों में आप क्या कॉलेज के बाहर भी स्टेज शो में भाग लेते थे?
जी, हां। मैं प्रोफेशनल थियेटर के साथ-साथ म्यूजिकल शो करता था। मैंने शादियों में गाने भी गाए हैं। आज मैं महसूस करता हूं कि इन सबसे ही मुझे यादगार अनुभव हासिल हुए हैं। इन्हीं अनुभवों से मेरा अभिनय समृद्ध और विकसित हुआ है।
आपने मुंबई आने का निर्णय कब किया?
स्नातक की पढ़ाई पूरी होने के बाद मन में इच्छा हुई कि मुंबई जाकर अपनी किस्मत आजमाई जाए। तब मैं 21 साल का था। मुझे कोई अनुभव नहीं था। इसलिए कोई खास बात बनी नहीं। उसके बाद 2007 में मुझे लाफ्टर चैलेंज से आमंत्रण आया। मैं पहली बार हवाई जहाज में यात्रा करके मुंबई पहुंचा। लाफ्टर चैलेंज ने मुझे मान, सम्मान, पैसा दिया। उसके बाद कॉमेडी सर्कस से शुरू हुआ सफर द कपिल शर्मा शो तक पहुंच गया है। अब मुंबई ही मेरी कर्मभूमि है और यहां से मुझे भरपूर प्यार और सम्मान मिला।
आपके पिता पंजाब पुलिस में थे? क्या माता-पिता की तरफ से पुलिस में जाने का या किसी अन्य सरकारी नौकरी करने का दवाब आप पर नहीं था?
मैं सौभाग्यशाली हूं कि मेरे माता-पिता ने हमेशा मेरा सहयोग किया है। मुझ पर कभी भी डॉक्टर, इंजीनियर बनने का दबाव नहीं डाला गया। मेरे पिता पुलिस में थे। वे ऐसा कोई अवसर तो पैदा नहीं कर सकते थे, जिससे मैं अभिनेता बन पाता मगर उन्होंने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया। उन्होंने कभी मुझे सपने देखने या दिल की सुनने से नहीं रोका। मुझे ऐसा लगता है कि क्योंकि उनके भीतर भी एक कलाकार था इसलिए उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया। सामान्य घरों की तरह मैंने भी पुलिस, बीएसएफ वगैरह की नौकरी पाने की कोशिश की। मगर मैं सफल नहीं रहा। ईश्वर ने शायद मेरे लिए कुछ और ही विधान रच रखा था। मैंने लोगों को हंसाने को ही अपना पेशा बनाया और इससे मुझे वह सब कुछ मिला, जो कभी मैंने सपने में भी नहीं सोचा था।
पिता के असामयिक देहांत के बाद आपको और आपके परिवार को किस तरह का संघर्ष करना पड़ा?
पिता के देहांत के छह महीने बाद हमें अपना सरकारी आवास छोड़ना पड़ा। जीवन में जब पिता का साया उठता है, तो जमाने की धूप चुभने लगती है। वही सब कुछ हमारे परिवार ने भी देखा। मगर मेरी मां ने हमें कभी भी अकेला महसूस नहीं होने दिया। उन्होंने हमेशा हमें हिम्मत दी। उन्होंने समझाया कि कठिन दिन भी जीवन का हिस्सा हैं और उन्हें स्वीकार करना भी जरूरी है। यह जरूर है कि मैंने जो राह चुनी थी, वह आसान नहीं थी। मगर मां की दी हिम्मत और दुआओं के सहारे मैंने वह मुकाम हासिल किया, जिस पर आज मेरी मां को गर्व है। यहां मैं कहना चाहता हूं कि पिता के देहांत के बाद ही मुझे लाफ्टर चैलेंज में मौका मिला, जिससे मेरी किस्मत बदली। मैं अक्सर सोचता हूं कि मेरे पिता ने ईश्वर के पास जाकर ही मेरी तरक्की की सिफारिश की और तभी मुझे लाफ्टर चैलेंज के रूप में कामयाबी मिली। मैं आज भी उनकी कमी महसूस करता हूं और मानता हूं कि यह शोहरत उन्हीं के आशीर्वाद का नतीजा है।
जीवन के जिस दौर में असफल हो रहे थे, उस समय सकारात्मकता कैसे कायम रखी?
मेरे पास सकारात्मक रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। मैं और किसी भी क्षेत्र में निपुण नहीं था। यही कारण है कि अभिनय के क्षेत्र में बार-बार नकारे जाने के बावजूद, मैं अपनी कर्मभूमि छोड़कर नहीं गया। मैं जाकर भी क्या करता। मेरा यही मानना है कि यदि इंसान कुछ ठान ले और निरंतर प्रयासरत रहे तो एक दिन वह जरूर सफल होता है।
आपने इंडियन आइडल के लिए भी ऑडिशन दिया लेकिन सफल नहीं हुए। गायक बनने का जो आपका पहला सपना था, उसके अधूरे रहने का कोई अफसोस है?
मैं बचपन में गायक ही बनना चाहता था, लेकिन मैंने संगीत की तालीम हासिल नहीं की थी। मैं केवल अच्छे संगीत सुनता था। उम्र के साथ मुझे यह महसूस हुआ कि संगीत एक साधना है। गायक बनने के लिए तपस्या जरूरी है। मैंने गायन सीखा नहीं था इसलिए गायक बनने का जुनून धीमे-धीमे कम होता रहा। यह ईश्वर की कृपा है कि द कपिल शर्मा शो के कारण मुझे शौकिया तौर पर गाने का अवसर मिलता रहता है। इसके अलावा अभी मेरी एल्बम भी रिलीज हुई, जिसे लोगों ने प्यार दिया। गायन से मुझे जो भी लगाव था, वह आज भी कायम है। मैं ईश्वर का धन्यवाद देता हूं, जो मुझे वह सब कुछ हासिल हुआ है, जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी। मेरे जीवन में अफसोस की कोई जगह नहीं है।
हिंदी सिनेमा के शुरुआती दौर में किशोर कुमार, महमूद, जॉनी वॉकर जैसे स्टार हास्य कलाकार थे। मगर जब से अमिताभ बच्चन और गोविंदा जैसे मुख्य अभिनेताओं ने हास्य भूमिका निभानी शुरू की, कॉमेडियनों की स्टारडम में कमी आई। आपके आने से हास्य कलाकारों को एक बार फिर स्टारडम हासिल हुई है। इस स्थिति के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
किशोर कुमार, महमूद, जॉनी वॉकर जैसे कलाकार सदियों में जन्म लेते हैं। वे उस स्टारडम के लायक थे, जो उन्हें हासिल हुई थी। यह अमिताभ बच्चन साहब और गोविंदा सर की काबिलियत थी कि उन्होंने गंभीर और हास्य भूमिकाओं को एक समान प्रवीणता से निभाने का कार्य किया। मगर मैं यह कहना चाहूंगा कि आज भी स्थिति काफी बेहतर है। स्टैंड-अप कॉमेडी और हास्य कलाकारों का ग्राफ ऊंचा ही उठा है। पहले म्यूजिकल शो में गायक को आराम देने के लिए, गायन प्रस्तुति के बीच में किसी हास्य कलाकार की प्रस्तुति होती थी। आज देश, विदेश में प्रमुखता के साथ हास्य कार्यक्रम हो रहे हैं।
आजकल स्टैंड-अप कॉमेडी की लोकप्रियता जिस तरह से बढ़ती जा रही है, उसे आप किस तरह देखते हैं?
स्टैंड-अप कॉमेडी का साम्राज्य दिन दोगुना बढ़ रहा है। स्टैंड-अप कॉमेडी और हास्य कलाकारों के लिए यह स्वर्णिम युग कहा जाएगा। स्टैंड-अप कॉमेडी को फलता-फूलता देख मुझे बहुत प्रसन्नता होती है। मैंने स्वयं अपनी शुरुआत स्टैंड-अप कॉमेडी से की। लाफ्टर चैलेंज और कॉमेडी सर्कस में स्टैंड-अप कॉमेडी ने ही मुझे लोकप्रियता प्रदान की। इसके बाद मैंने एक ऐसे शो की कल्पना की, जहां खेल, सिनेमा, साहित्य, संगीत जगत की महान विभूतियों के मस्ती-मजाक वाले माहौल में साक्षात्कार हों। यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक के माध्यम से आज देशभर में कई स्टैंड-अप कॉमेडियन मशहूर हो रहे हैं। वे सभी मुझे आभार व्यक्त करते हैं, तो मुझे खुशी होती है। मैं जानता हूं कि सबका अपना संघर्ष है। इसी संघर्ष को पार करके कामयाबी हासिल होती है। यह और बात है कि ईश्वर की कृपा से हमारे देश में स्टैंड-अप कॉमेडी को लोकप्रिय बनाने का मैं माध्यम बना। मगर इससे अन्य कलाकारों का महत्व कम नहीं हो जाता है। सबका अपना योगदान है। यह सुखद है कि चिंता, पीड़ा, दुख से भरी इस जिंदगी में स्टैंड-अप कॉमेडियन लोगों के चेहरे पर खुशी ला रहे हैं।
ऐसा देखा जा रहा है कि स्टैंड-अप कॉमेडियन जब किसी मुद्दे पर अपनी राय रखते हैं तो उस पर विवाद खड़ा हो जाता है। देश में भावनाओं के कथित रूप से आहत होने के इस क्रम को आप किस तरह देखते हैं?
मेरा मानना है कि भावनाएं तो हमेशा से आहत होती रही हैं। मगर पहले भी लोग उदार होते थे और आज भी उदार लोग हैं। बात इतनी-सी है कि सूचना एवं प्रौद्योगिकी के विकास ने खबरों को आग की तरह फैलाने का काम किया है। इसलिए आज कोई कुछ बोलता है तो उसकी सूचना कम समय में अधिक लोगों तक पहुंच जाती है। बाकी मैं यह जरूर कहूंगा कि हम सभी कलाकारों को यह ध्यान रखना चाहिए कि मजाक करते हुए किसी की भावनाएं आहत न हों। हंसाने के प्रयास में हम किसी को चोट पहुंचाने का काम करते हैं तो फिर हमारी सारी कला बेमानी है।
आपके सफर में भी कई तरह के विवाद जुड़े हैं। कुछ विवाद सह-कलाकारों से जुड़े हुए थे तो कुछ मामलों में यह कहा गया कि आपकी कॉमेडी में महिला विरोधी टिप्पणियां होती हैं। इस विषय में क्या कहना चाहेंगे?
सह-कलाकारों के साथ हुए विवाद के विषय में मैं यही कहना चाहता हूं कि यह नहीं होने चाहिए थे। मगर हम सभी आम इंसान हैं। हम सभी के जीवन में अपने यार, दोस्तों से विवाद हो जाते हैं। मैं क्योंकि एक ऐसे पेशे में हूं, जो शोहरत जुड़ा हुआ है इसलिए मुझसे जुड़े विवाद चर्चित हो जाते हैं। ऐसा नहीं है कि इस तरह की घटनाएं सामान्य लोगों के साथ घटित नहीं होती। बस उनकी चर्चा नहीं होती।। जहां तक बात महिला विरोधी टिप्पणियां करने की है, तो मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि मेरे हर शो में मेरी मां मौजूद रहती है। मैं अपनी मां के सामने कोई भी ऐसी बात नहीं कर सकता, जो महिलाओं के सम्मान पर चोट पहुंचाती हो। मैं यही कहूंगा कि मेरे उद्देश्य पर ध्यान दिया जाना चाहिए। मेरा उद्देश्य केवल लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाना है। यदि कभी मेरी किसी टिप्पणी से कोई अपमानित महसूस करता है तो मैं उससे क्षमा याचना कर लेता हूं। एक इंसान के रूप में हम सभी गलती करते हैं और गलती स्वीकार करने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए।
द कपिल शर्मा शो का सबसे खास एपिसोड कौन सा रहा? कोई ऐसी सेलेब्रिटी है, जिसका इंतजार आपको है?
ईश्वर की कृपा से शो चलाते हुए 10 साल हो गए। मैं जिन लोगों का प्रशंसक रहा हूं, सभी लोगों से शो पर मिल चुका हूं। इसलिए कहना कठिन होगा कि कौन सा एपिसोड खास रहा है। किसी एपिसोड का जिक्र करना पड़े तो मैं पहले एपिसोड का जिक्र करना चाहूंगा। इसमें अभिनेता धर्मेंद्र गेस्ट थे। मैं शुरुआत कर रहा था और किसी को मुझ पर विश्वास नहीं था। इस कारण लोग पहले एपिसोड में आने से कतरा रहे थे। ऐसे समय में धर्मेन्द्र साहब ने साथ दिया। यही बात मेरी पत्नी के संबंध में सटीक बैठती है। जब मेरे पास कोई नहीं था, तब मेरी पत्नी ने मुझसे प्यार किया। मेरी बड़ी ख्वाहिश थी कि कभी सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर मेरे शो पर आएं। मगर यह संभव न हो सका। आज भी कई महान लोग हैं, जिनका मुझे अपने शो में बेसब्री से इंतजार है। उम्मीद करता हूं कि मेरी ख्वाहिश जरूरी पूरी होगी।
बॉलीवुड के कई सितारे अपने ईगो और नखरों के लिए जाने जाते हैं। जिस सहजता से आप अपने शो में उन्हें हैंडल करते हैं, उसने बहुतों को आपका मुरीद बनाया है। यह व्यवहार कुशलता किस तरह हासिल की आपने?
सब मैंने अपने जीवन के अनुभव से हासिल किया। जब भी कोई कलाकार शो पर आता है, मैं कोशिश करता हूं कि जो दर्शक इस महान कलाकार को सुनने, देखने के लिए मेरा शो देख रहे हैं, वे निराश न हों। इसलिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करता हूं। मैं कलाकारों के साथ सहज रहता हूं। जिस भी समय वे मेरे शो के लिए उपलब्ध होते हैं, उनकी सुविधा के अनुसार शूटिंग करता हूं। इस कारण मेरा सभी कलाकारों से सामंजस्य स्थापित हो जाता है।
आप अभिनेता, स्टैंड-अप कॉमेडियन, गायक, अवॉर्ड फंक्शन होस्ट के रूप में सक्रिय हैं। आपको सबसे ज्यादा मजा किस काम में आता है या कौन सा काम सबसे मुश्किल है?
ये सब शौक मेरे हैं इसलिए मुझे इन सभी कामों में मजा आता है। यह सब कला के ही स्वरूप हैं और एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यह मैं जरूर कहना चाहता हूं कि मैं प्रोड्यूसर नहीं बनना चाहता क्योंकि उसके लिए अलग ढंग से सोचना पड़ता है। बाकी कोई भी कलात्मक अभिव्यक्ति हो, मुझे उससे प्रसन्नता हासिल होती है।