वैश्विक निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीई) ने शुक्रवार को पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया है। मनी लॉन्ड्रिंग और आंतकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने में विफल रहने के बाद पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे लिस्ट में शामिल किया था। माना जा रहा है कि अब पाकिस्तान अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए विदेशी पैसे प्राप्त करने की कोशिश कर सकता है।
एपएटीई ने कहा कि अब पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में नहीं है। पहले ही ऐसे कयास लग रहे थे कि पाकिस्तान को इस बार राहत मिल सकती है, अब उसी दिशा में फैसला भी दे दि दिया गया है। संस्था की दो दिन तक बैठक में कई मुद्दों पर मंथन किया गया लेकिन बड़ा फैसला पाकिस्तान को लेकर होना था। डीआरसी (डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो), तंजानिया और मोजाम्बिक को सूची में जोड़ा गया है। म्यांमार को भी सूची में जोड़ा गया है।
एफएटीएफ ने धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने में कानूनी, वित्तीय, नियामक, जांच, न्यायिक और गैर-सरकारी क्षेत्र की कमियों के चलते पाकिस्तान को निगरानी लिस्ट में डाला था। जून तक पाकिस्तान ने ज्यादातर कार्रवाई बिंदुओं को पूरा कर लिया था। एफएटीएफ ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद विरोधी शासन के वित्तपोषण का मुकाबला करते हुए, अपने धन शोधन विरोधी की प्रभावशीलता को मजबूत किया; तकनीकी खामियां दूर की। उसके इस कदम का स्वागत किया गया।
एफएटीई के अध्यक्ष टी राजा कुमार ने कहा कि संस्था ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की बार-बार निंदा की। इस सप्ताह पूर्ण चर्चा के बाद अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया, जिसमें रूस को वर्तमान और भविष्य की परियोजनाओं से रोकना और क्षेत्रीय भागीदार निकायों के सदस्य के रूप में बैठकों में भाग लेना शामिल है।
बता दें कि पाकिस्तान के कुछ बिंदु अधूरे रह गये थे, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी समेत संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकामी शामिल थी। अजहर, सईद और लखवी भारत में कई आतंकी हमलों में शामिल होने के लिए मोस्ट वाटेंड आतंकवादी है। इनमें मुंबई में आतंकवादी हमला और 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की बस पर हमला किया।