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एसएयू की ग्लोबल लाइब्रेरी समिट से सार्क के सदस्य देशों के बीच वैश्विक एकता को मिलेगा बढ़ावा: प्रोफेसर अग्रवाल

साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष प्रो. के.के. अग्रवाल ने आधुनिक पुस्तकालयों के सामने आने वाली...
एसएयू की ग्लोबल लाइब्रेरी समिट से सार्क के सदस्य देशों के बीच वैश्विक एकता को मिलेगा बढ़ावा: प्रोफेसर अग्रवाल

साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष प्रो. के.के. अग्रवाल ने आधुनिक पुस्तकालयों के सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने यूनिवर्सिटी के आदर्श वाक्य "नॉलेज विदाउट बॉर्डर" की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए सार्क देशों के बीच पुस्तकालय सहयोग को बढ़ावा देकर ज्ञान के विस्तार पर जोर दिया।

नई दिल्ली स्थित डॉ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में अपनी तरह की पहली ग्लोबल लाइब्रेरी समिट में प्रोफेसर अग्रवाल ने अपने अध्यक्षीय भाषण में शोधकर्ताओं द्वारा पुस्तकालयों को पूरी तरह से दरकिनार करने पर चिंता व्यक्त की, इसे शिक्षा में एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति बताया। प्रो. अग्रवाल ने पाठ्यक्रम से परे पढ़ने के महत्व पर जोर दिया और चैटजीपीटी जैसे एआई उपकरणों पर अत्यधिक निर्भरता के खिलाफ चेतावनी दी।

प्रोफेसर केके अग्रवाल ने अपने संबोधन में शिखर सम्मेलन की टैगलाइन, "कनेक्ट, सहयोग और योगदान" की थीम लाइन को विस्तार से रेखांकित करते हुए कहा कि साउथ एशियन यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी डिप्लोमेसी के जरिए सार्क के सभी सदस्य देशों को आपस में जोड़कर वैश्विक एकता को बढावा देने का काम कर रही हैं। इस अवसर पर शिखर सम्मेलन की आधिकारिक वेबसाइट लॉन्च, जीएलएस-25 ब्रोशर और एलआईएस अकादमी प्रकाशन का विमोचन किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और AICTE के अध्यक्ष प्रो. टी.जी. सीताराम ने पुस्तकालयों में तकनीकी एकीकरण पर बल दिया। उन्होंने बाधाओं को तोड़ने और वैश्विक सहयोग को सक्षम करने के मार्ग के रूप में "लाइब्रेरी डिप्लोमेसी" की अवधारणा पेश की। प्रो. सीताराम ने मातृभाषा शिक्षा के महत्व और पुस्तकालय सेवाओं में AI उपकरणों के रणनीतिक उपयोग पर चर्चा की।

सेंटर के निदेशक आकाश पाटिल ने आयोजन को डॉ अंबेडकर की विरासत से जोड़ा। उन्होंने शिखर सम्मेलन के लिए DIAC की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। पाटिल ने आगामी 2025 शिखर सम्मेलन के लिए DIAC के निरंतर समर्थन का वचन दिया। इस दौरान LIS अकादमी के अध्यक्ष प्रो. पी.वी. कोन्नूर ने वैश्विक स्तर पर पुस्तकालय पेशेवरों को एकजुट करने में इस शिखर सम्मेलन महत्ता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य विश्वव्यापी सहयोग के लिए एक व्यापक मंच बनाना है।

यूनिवर्सिटी के वाइस प्रेसिटेंड और समिट के अध्यक्ष प्रोफेसर पंकज जैन ने डिजिटल युग में पुस्तकालयों की परिवर्तनकारी भूमिका पर जोर दिया गया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे पुस्तकालय, आवश्यक ज्ञान भंडार बने रहते हुए, समकालीन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकसित हुए हैं, उन्होंने कहा कि "एक पुस्तकालय को शिक्षक का सबसे अच्छा विकल्प माना जा सकता है।" आयोजन समिति के सचिव ड़ॉ. धनंन्जय त्रिपाठी ने इस मौके पर अपने विचार व्यक्त किए।

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