शारिब हाशमी हिन्दी सिनेमा के उन चुनिंदा कलाकारों में से हैं, जिन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से बहुत कम समय में अपना एक विशेष स्थान प्राप्त किया है। "जब तक है जान", "द फैमिली मैन", "असुर" जैसे कामयाब प्रोजेक्ट्स का हिस्सा रहे, शारिब हाशमी अभिनय के साथ ही लेखन के क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। अपनी सरलता, सादगी और निष्ठा के लिए लोकप्रिय शारिब हाशमी बीते कुछ वर्षों में एक से बढ़कर किरदार निभा रहे हैं और हर किरदार विविधता लिए हुए है। आउटलुक के प्रतीक सुर से बात करते हुए शारिब हाशमी ने अपने फिल्मी करियर, अभिनय यात्रा और आगामी प्रोजेक्ट्स की चर्चा की।
साक्षात्कार से मुख्य अंश
बीते कुछ समय से आप कई वेब सीरीज, फिल्मों में नजर आ रहे हैं। कोई भी किरदार चुनते वक्त, आप किन बातों को ध्यान में रखते हैं?
असली हीरो तो फिल्म की कहानी है। फिल्म की कहानी में वो दम होना चाहिए, जो आपको उस किरदार के बारे में सोचने पर मजबूर करे। स्क्रिप्ट कोई भी हो, मैं उसे दर्शक की तरह पढ़ता हूँ , दर्शक की तरह सोचता हूँ । पढ़ते हुए मैं ध्यान देता हूं कि कहानी मुझे कितना बांध रही है। यदि कहानी मुझे गिरफ्त में लेने लगती है तो मैं प्रोजेक्ट के लिए हामी भर देता हूं।
आपने फिल्म 'फिल्मिस्तान' में मुख्य भूमिका निभाई लेकिन फिर अधिकतर सहायक भूमिका में नजर आए। क्या आप मुख्य भूमिकाएँ करने के इच्छुक नहीं हैं?
मैं किसी भी किरदार को सहायक या मुख्य भूमिका के नजर से नहीं देखता ।अगर किरदार कथानक को मजबूत करने या आगे ले जाने में मदद कर रहा है तो मुझे उस किरदार को निभाने में कोई परहेज नहीं। मैं आज मुख्य भूमिका और सहायक भूमिका, दोनों ही निभा रहा हूं। मेरे लिए किरदार की विविधता महत्वपूर्ण है। यदि किरदार दमदार है तो मुझे दो सीन करने में भी मजा आता है। यह बात मैं हमेशा से कहता रहा हूँ कि अगर मैं विकल्पों के बारे में सोचता तो कभी सफल न होता। अब तक के फिल्मी करियर में मुझे जो अवसर मिले, उन्हें अपनी मेहनत से सींचा है मैंने। यही मेरी यात्रा का सार है।
'फिल्मिस्तान' और 'जब तक है जान' जैसे शुरुआती प्रोजेक्ट्स की सफलता के बाद आपके पास काम था या आपको ओटीटी प्लेटफॉर्म का इंतजार करना पड़ा?
मैंने 'फिल्मिस्तान' के बाद कठिन समय का सामना किया है। मैंने सोचा था कि 'फिल्मिस्तान' के बाद चीजें मेरे लिए आसान हो जाएंगी और बड़े प्रोडक्शन हाउस से बड़े ऑफर मिलने शुरू हो जाएंगे। मैंने कुछ फिल्में साइन भी कीं लेकिन उनमें से कुछ रुक गईं, कुछ बीच में ही अटक गईं। स्वतंत्र फिल्में तैयार हो चुकी थीं लेकिन उन्हें खरीदार नहीं मिल रहे थे। यह पल हताशा से भरे थे। जब 'द फैमिली मैन' सीरीज आई तो चीजें वापस पटरी पर आ गईं। मुझे फिर निरंतर काम मिलने लगा और मेरी पहचान स्थापित हुई।
पिछले कुछ वर्षों में ओटीटी आपके करियर का एक अभिन्न अंग बनकर सामने आया है। इस बारे में क्या कहना चाहेंगे?
'द फैमिली मैन' के बाद, मुझे वेब शो 'असुर' में काम करने का अवसर मिला। फिर वेब शो 'स्कैम: 1992' और 'ग्रेट इंडियन मर्डर' का प्रदर्शन भी शानदार रहा। इस तरह देखें तो ओटीटी मेरे जीवन और करियर में भारी बदलाव लेकर आया है। मैं राज एंड डीके और मुकेश छाबड़ा का शुक्रगुजार हूँ, जिन्होंने मुझे ' द फैमिली मैन' में जेके के किरदार के काबिल समझा। मैं कभी कभी सोचता हूं कि अगर 'द फैमिली मैन' जैसे प्रोजेक्ट नहीं होते तो मैं आज गुमनाम होता। इस तरह आप कह सकते हैं कि ओटीटी प्लेटफॉर्म का मेरी यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान है।
क्या आपको लगता है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म के आने से उन प्रतिभाशाली कलाकारों को अधिक अवसर मिल रहे हैं, जिन्हें मुख्यधारा में काम नहीं मिल पाता था?
मुझे लगता है कि अब सभी को मौका मिल रहा है । रास्ते खुल गए हैं और ओटीटी ने निश्चित रूप से सिर्फ अभिनेताओं को ही नहीं, बल्कि हर किसी को अवसर दिया है। क्रिएटिव फील्ड के लोगों के लिए ये एक बेहतरीन मंच है, जहा अब फिल्म निर्माता भी अलग-अलग विषयों को लेकर कहानियां बताना चाहते हैं। लेखकों के लिए भी ये प्लेटफॉर्म उतना ही जरूरी है, जो लीग से हटकर कुछ लिखना चाहते है।
जब आपको फिल्मों में अच्छा काम नहीं मिल रहा था तो क्या टेलीविजन कभी विकल्प नहीं था?
टेलीविजन ने मुझे कभी उत्साहित नहीं किया, लेकिन इस इंडस्ट्री में किसी चीज के लिए ना नहीं कहना चाहिए। मेरे हिस्से में ऐसा कुछ खास महत्वपूर्ण आया भी नहीं इसलिए मैंने टेलीविजन में कभी कुछ नहीं किया। मैं कभी भी सिर्फ पैसों के लिए कुछ नहीं करना चाहता था। मुझे उम्मीद है कि मैं किसी दिन जरूर टेलीविजन करूंगा क्योंकि आज भारत में टेलीविजन की पहुंच अद्वितीय है।
व्यक्तिगत स्तर पर आप एक प्रोडक्शन हाउस के भी मालिक हैं। वो कौन सी चीजें है जो आपको नए प्रोजेक्ट पर काम करते हुए ध्यान में रखनी होती है ?
फिलहाल हम किसी प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर रहे हैं ।राम सिंह चार्ली की रिलीज के बाद, हम प्रोडक्शन क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय नहीं हैं। यदि भविष्य में प्रोडक्शन की दिशा में कुछ करने का मौका मिले , तो हम उस पर विचार करेंगे।
आप स्क्रिप्ट लेखन में भी सक्रिय हैं। आपको अभिनय और लेखन में अधिक पसन्द क्या है ?
मेरा पहला प्यार अभिनय है। अभिनय तो मैं दिलों जान से करना पसंद करता हूँ।लिखना मुझे पसंद है, मेरा शौक है। जल्दी ही मैं कुछ ऐसा लिखना चाहता हूं, जिसे स्वयं निर्देशित भी कर सकूं।
आपकी नजर में, आज की बॉलीवुड फिल्मों की पटकथा में ऐसी क्या कमी है, जो अधिकांश फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हो रही हैं?
सिनेमा में किसी को पता नहीं होता कि क्या चलेगा और क्या नहीं। अगर पता चल जाए तो फिर निर्माता फ्लॉप फिल्म ही क्यों बनाएगा। हर फिल्म निर्माता चाहता है कि उसका काम देखा जाए।मुझे लगता है कि हमें फिल्मों का निर्माण करने के तरीके का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए। बजट और फिल्म सहित उसे बनाने की पूरी प्रक्रिया पर विचार करना चाहिए।मेरा मानना है कि लेखकों के काम को गंभीरता से लेना चाहिए। एक ओरिजनल थॉट होना जरूरी है। एक अच्छी मजबूत स्क्रिप्ट ही फिल्म के लिए नींव के रूप में काम करती है।अगर नींव ठोस है, तो जोखिम कम हो जाता है।
दक्षिण या मराठी फिल्मों पर आप क्या कहेंगे, जो पिछले कुछ समय से बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं?
यह सच है कि दक्षिण भारतीय सिनेमा में एक के बाद एक ब्लॉकबस्टर फिल्में बन रही हैं। हिंदी सिनेमा में साल में 100 फिल्में यदि बनती हैं तो कुछ ही कामयाब होती हैं। इसी तरह से दक्षिण भारतीय सिनेमा का भी गणित है। हर फिल्म जो दक्षिण भारतीय सिनेमा में बनती है, वह 100 करोड़ का कारोबार नहीं करती। इसलिए बॉलीवुड को कमतर आंकना भी ठीक नहीं है। मुझे ऐसा लगता है कि हमें चीजों को समझने और उन्हें अलग तरीके से देखने की जरूरत है।
'द फैमिली मैन 3' को लेकर क्या अपडेट है ?
'द फैमिली मैन 3' की शूटिंग अभी शुरू नहीं हुई है। इसमें समय लग सकता है। अभी तक तो मेरे पास कोई अपडेट आया नहीं है। इतना जरूर है कि हम निश्चित रूप से इस साल के अंत में शूटिंग शुरू कर देंगे।