तकरीबन चार सालों से जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज हो गई। 2020 के दिल्ली सांप्रदायिक दंगे में कथित तौर पर साजिश रचने के आरोपी उमर को कड़कड़डूमा कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया।
जमानत के लिए पहले उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन बाद में उन्होंने याचिका वापस ले ली। उमर जमानत के लिए कड़कड़डूमा कोर्ट पहुंचे जहां अदालत ने उन्हें बेल देने से इनकार कर दिया। बता दें कि याचिका, ट्रायल कोर्ट में जमानत याचिका में देरी और अन्य आरोपी के साथ समानता के आधार पर दायर की गई थी।
एडिश्नल सेशन जज समीर बाजपेयी ने उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद 13 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लेने के बाद आज आदेश जारी किया है। दिल्ली पुलिस के विशेष लोक अभियोजक ने उमर के जमानत याचिका का विरोध करते हुए इसे "तुच्छ और आधारहीन" बताया था। वहीं दूसरी ओर उमर के वकील ने ट्रायल कोर्ट में तर्क दिया कि दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में उनके खिलाफ कोई आतंक संबंधी आरोप नहीं लगाए गए थे। उन्होंने तर्क देते हुए आगे कहा कि दस्तावेज में उनका नाम सिर्फ बार-बार दोहराया गया था। नाम दोहराने से झूठ सच में नहीं बदल जाता है। उमर के वकील ने उनके खिलाफ चलने वाले मीडिया ट्रायल पर भी आरोप लगाया था।
आपको बता दें कि दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद पर 2020 में 23 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन की योजना बनाने का आरोप लगाया है, जिसके कारण कथित तौर पर दंगे हुए थे। उमर सितंबर, 2020 से तिहाड़ जेल में बंद है। इसके अलावा उमर पर भारत विरोधी बयान देने, कश्मीर की आजादी की मांग करने समेत ऐसे कई बयानों को लेकर देश के कई अदालतों में केस चल रहे हैं। उमर पर कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज है।