इसके काटने से डेंगू की तरह प्लेटलेट्स की संख्या घटने लगती है। ये खुद तो संक्रामक नहीं है लेकिन इसकी वजह से शरीर के कई अंगों में संक्रमण फैलने लगता है। इसकी वजह से लिवर, दिमाग व फेफड़ों में कई तरह के संक्रमण होने लगते हैं और मरीज मल्टी ऑर्गन डिसऑर्डर के स्टेज में पहुंच जाता है।
इस पिस्सू के काटने से पहले तेज़ बुखार (करीब 103 से 104 डिग्री फारेनहाइट) चढ़ता है। इसके साथ ही सिरदर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द और शरीर में कमजोरी भी आने लगती है। सबसे ख़ास बात ये है कि पिस्सू के काटने वाली जगह पर फफोलेनुमा काली पपड़ी जैसा निशान दिखता है। इस बीमारी का इलाज़ वक़्त पर न किया जाए तो ये गंभीर रूप ले लेता है और निमोनिया में बदल जाता है।
दिल्ली के एम्स में इसके 30 से ज्यादा मरीज़ इलाज करा रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा ने 'स्क्रब टाइफस' बीमारी से निपटने में हिमाचल प्रदेश सरकार को हर संभव मदद का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय को 'स्क्रब टाइफस' पर हिमाचल प्रदेश सरकार की विस्तृत रपट मिल गई है। स्वास्थ्य मंत्री ने समुदाय स्तर पर लोगों द्वारा किए जाने वाले निवारक कदम के बारे में सघन जागरूकता अभियान शुरू करने की जरूरत पर बल दिया।