इस शोध में समय से पहले पैदा हुए 180 बच्चों को शामिल किया गया और जन्म से लेकर उनके सात साल के होने तक उन पर नजर रखी गई। पता चला कि जिन बच्चों को जन्म के पहले 28 दिन ज्यादा स्तनपान कराया गया उनके मस्तिष्क के कुछ हिस्से तुलनात्मक रूप से ज्यादा विकसित थे, उनका आईक्यू ज्यादा बेहतर था। अकादमिक उपलब्धियां, कामकाजी स्मरणशक्ति और क्रियात्मक गतिविधियां भी ज्यादा अच्छी थीं।
अमेरिका के ब्रिंघम एंड वीमेन्स हॉस्पिटल के मेंडी ब्राउन बेलफोर्ट ने बताया, समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे जब अस्पताल में नवजात शिशुओं की गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती हों तो उस दौरान उन्हें मां का दूध दिया जाना चाहिए। हमारे आंकड़े इस सिफारिश के पक्ष में हैं।
शोधकर्ताओं ने साल 2001-2003 के बीच विक्टोरियन इनफेंट ब्रेन स्टडीज में 30 हफ्ते के गर्भकाल से पहले जन्में नवजातों को शोध में शामिल किया था। उन्होंने उन दिनों की संख्या तय की जब नवजातों को उनके जन्म के 28 दिन के भीतर पोषण के तौर पर 50 फीसदी से ज्यादा मां का दूध मिला था।
बेलफोर्ट ने कहा, बच्चे के विकास को कई कारक प्रभावित करते हैं और मां का दूध उन्हीं में से एक है। यह शोध द जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित हुआ था। इस बीच जिनोवा से एक रिपोर्ट में कहा गया कि यूनीसेफ ने मां के दूध को बच्चे के लिए पहली दवाई बताते हुए नई माताओं से कहा है कि नवजातों को जन्म के घंटेभर के भीतर स्तनपान कराने के लिए उन्हें और प्रयास करने चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के लिए काम करने वाली इस एजेंसी ने कहा है कि लगभग 7.7 करोड़ या लगभग हर दो में से एक नवजात को जन्म के पहले एक घंटे में मां का दूध नहीं मिलता है। इससे उन्हें महत्वपूर्ण पोषण, रोग-प्रतिरोधक और त्वचा से त्वचा का स्पर्श नहीं मिल पाता है।
यूनीसेफ ने जानकारी दी कि मौत के मुंह में जाने वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों में से लगभग आधे नवजात होते हैं। जन्म के पहले छह महीने में नवजातों को सिर्फ स्तनपान कराया जाता है तो इससे हर साल 8,00,000 बच्चों की जान बच सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रवक्ता फेडेला चैब ने उन दावों को नकार दिया, जिनमें कहा जाता है कि इनफेंट फार्मूल से भी मां के दूध जैसे ही लाभ मिलते हैं। उन्होंने कहा, यह झूठ है, ये लाभ पूरी तरह मां के दूध जैसे नहीं होते।
एजेंसी भाषा