हालत यह है कि सूची में भारत बांग्लादेश, चीन, भूटान और श्रीलंका समेत अपने कई पड़ोसी देशों से पीछे है। मेडिकल जर्नल ‘द लैनसेट’ में प्रकाशित ‘ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज स्टडी’ ने अपनी सूची में भारत को यह स्थान दिया है।
कुछ पैमाने ऐसे हैं जिनमें स्वास्थ्य क्षेत्र में साल 1990 की अपेक्षा 2015 में कुछ सुधार हुआ है। सूची में स्विट्जरलैंड शीर्ष पर है इसके बाद स्वीडन और नार्वे का स्थान आता है।
सूची में भारत के पिछड़ने की वजह भारत में अशिक्षा और गरीबी को मान सकते हैं। इसके अलावा यहां डॉक्टरों की आबादी का केवल 2% ग्रामीण क्षेत्रों में रहता हैं जहा भारत की 68% जनसंख्या रहती हैं।
भारत में स्वास्थ्य सेवा के लिए निजी स्वास्थ्य क्षेत्र प्रमुख भूमिका निभाता हैं। सरकारी अस्पतालों से धनी संपन्न लोगों के दूर रहने से यहां सुविधाओं का टोटा हमेशा बने रहता है।