मेडिकल विशेषज्ञों ने इसके पीछे हार्मोन में हो रहे बदलाव को प्रमुख माना है। शरीर में हार्मोन के कारण पुरुषों की तुलना में महिलाएं अस्थमा से अधिक पीड़ित हो रही हैं। आम तौर पर 40 से 45 वर्ष की उम्र के पहले महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आती हैं।
जेनेटिक यानी माता-पिता में से किसी एक को इस बीमारी के शिकार होने पर उनके बच्चों को अस्थामा होने की आशंका भी रहती है। इस बीमारी को दवा के जरीये नियंत्रण में रखा जा सकता है।
विश्व में 20 तथा देश में 2 करोड़ लोगों को है अस्थमा
गौर हो कि अस्थमा के विषय में जागरूकता के लिए हर साल मई के पहले मंगलवार को पूरे विश्व में अस्थमा दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष 2 मई यानी मंगलवार को इस दिवस को मनाया जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में लगभग 200 मिलियन यानी 20 करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। भारत में भी यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है। भारत में लगभग 20 मिलियन यानी 2 करोड़ लोग इसकी चपेट में हैं।
इनडोर स्टेडियम से बढ़ रहा है रोग
शहरों में खेल मैदान के बजाए इनडोर गेम्स का चलन युवाओं को अस्थामा का मरीज बना रहा है। अस्थामा के मरीजों में अब युवाओं और बच्चों की संख्या बड़ों से दोगुनी हो गयी है। इनडोर गेम्स के दौरान पर्दे, गलीचे व कॉरपेट में लगी धूल उनके लिए बेहद खतरनाक साबित हो रही है। इससे उनमें एलर्जी और अस्थामा की बीमारी हो रही है। सांस लेने में तकलीफ, सांस छोड़ते समय आवाज निकलना, अत्यधिक खांसी का होना इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं।
अस्थमा को जानें
अस्थम रोग व्यक्ति के श्वास तंत्र को प्रभावित करता है। अस्थमा की वजह से शरीर के वायु मार्ग के संकीर्ण होने की वजह से वायुमार्ग श्वसन नली की परतों में सूजन आ जाती है। इसके कारण सांस लेते और छोड़ते समय फेफड़ों में हवा का प्रवाह कम हो जाता है।