सुबह से ही यदि हुल्लड़ का मन बना लिया हो तो जरा तैयारी कर के उतरें रंगों के मैदान में। वैसे तो होली की तैयारी एक रात पहले से शुरू हो जाती है। पर यदि कल आप व्यस्त रहे तो आज भी मौका है कि आप अपनी खूबसूरत त्वचा को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कर पाएं।
पूरे साल भर आप जिस त्वचा को संभाल कर रखते हैं, होली के दिन उसे थोड़ा-बहुत नुकसान तो हो ही जाता है। कितना भी प्राकृतिक रंगों बात की जाए लेकिन उनमें केमिकल होना तय है। फिर उत्साह और उमंग ऐसी रहती है कि त्वचा पर रगड़ लगती है, दोस्त गाल खींचते हैं, पानी में भीगते हैं और फिर धूप में सूख जाते हैं। त्वचा की नमी चुरा कर उसे बेजान करने के लिए इतने कारण काफी है। तो जब होली खेलना ही है तो चलिए थोड़ी तैयारी कर लेते हैं।
. मलाई लगा कर 15-20 मिनट तक रुकें। फिर ठंडे पानी से धो लें। साबुन नहीं लगाएं। त्वचा में चिकनापन बना रहने दें।
. एक-डेढ़ घंटे बाद खूब सारा नारियल तेल पूरे शरीर पर मलें। बालों में भी अच्छी तरह तेल डाल लें।
. अब जैसे ही होली खेलने का माहौल बन जाए, सरसों का तेल हाथ पैर पर मलें और बालों में भी यह तेल लगा लें।
. आपके शरीर पर चिकनाई की तीन परत चढ़ चुकी है, जो अंदर तक जज्ब हो चुकी है।
. कोशिश करें कि गुलाल से ही होली खेली जाए। लेकिन इस बात पर आपका जोर नहीं रहता। रंग से होली खेले बिना कुछ लोगों को होली जैसा नहीं लगता। इसलिए पानी की बोतल साथ रखें। जैसे ही कोई गुलाल के बजाय रंग डाले पानी से उसे धो लें।
. जब होली की हुड़दंग खत्म हो जाए तो आकर सीधे शॉवर के नीचे खड़े हो जाएं। जितना हो सके रंग को पानी के साथ बहा दें।
. बेसन का गाढ़ा लेप बालों में लगाएं और थोड़ा से बेसन में मलाई मिलाकर शरीर पर जहां-जहां रंग लगा है, साबुन की तरह लगाएं।
. बालों को रगड़ कर धोएं और शैप्पू कर प्रोटीनयुक्त कंडीशनर लगाएं।
. रंग छुड़ाने के लिए त्वचा को बहुत ज्यादा न रगड़ें।
. नहाने के बाद चिकनाई युक्त क्रीम लगाएं।
. कोशिश करें नहाने के बाद तुरंत धूप में न निकलें। त्वचा लाल पड़ सकती है।
. अगली सुबह नहाने से पहले त्वचा पर हल्का सा बर्फ मलें और हल्के गुनगुने पानी से नहाएं।
होली तो है ही मस्ती का त्योहार। इस मस्ती में अपना खयाल रखिए, सुरक्षित रहें, सावधान रहें और होली का आनंद उठाएं।