टीवी धारावाहिक महाभारत में युधिष्ठिर की भूमिका निभाने वाले चौहान की पुणे के एफटीआईआई के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति का संस्थान के छात्रों ने जोरदार विरोध किया। वे पिछले 29 दिन से आंदोलन पर हैं। राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित अभिनेता राजकुमार राव ने एफटीआईआई के अध्यक्ष पद पर गजेंद्र चौहान की नियुक्ति की आलोचना करते हुए कहा कि प्रतिष्ठित संस्थान को सुरक्षित हाथों में होना चाहिए।
टीवी धारावाहिक महाभारत में युधिष्ठिर का किरदार निभाने वाले चौहान ने पिछले महीने पुणे स्थित भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के संचालन परिषद के अध्यक्ष का पद संभाला था। संस्थान के छात्र रह चुके 30 वर्षीय राजकुमार ने कहा कि छात्रों को एक ऐसे अध्यक्ष की जरूरत है जिनसे वह प्रेरणा पा सकें। शाहिद, सिटी लाइट्स, लव सेक्स और धोखा और काई पो चे जैसी कई फिल्मों में काम कर चुके अभिनेता ने ट्विटर पर लिखा, एफटीआईआई को सुरक्षित हाथों में होना चाहिए। छात्रों को ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जिसपर वे भरोसा कर सकें और जिससे प्रेरणा पा सकें।
संस्थान के वर्तमान और पूर्व छात्रों ने चौहान की नियुक्ति की निंदा की है। छात्र चौहान की नियुक्ति के खिलाफ कक्षाओं का बहिष्कार कर, शैक्षणिक कार्य छोड़कर 12 जून से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि संस्थान का नेतृत्व करने के लिए जो कद एवं दृष्टि चाहिए वह चौहान के पास नहीं है। चौहान के काम पर सवालिया निशान लगाते हुए अभिनेता-निदेशक पालेकर ने कहा कि उन्हें स्वेच्छा से अध्यक्ष पद से हट जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने अब तक जो काम किया है वह छात्रों के लिए प्रेरणादायक नहीं है। सत्तर वर्षीय पालेकर ने कहा, यह ऐसा विषय है जिसपर हमें चर्चा करना चाहिए और हम स्पष्ट रूप से जानेंगे कि उनके पास कोई योग्यता नहीं है। अगर मैं चौहान की जगह होता और मैं देखता कि मेरी बिरादरी मुझे नहीं चाहती तो मैं हट जाता।
हजारों ख्वाहिशें ऐसी जैसी फिल्मों का निर्देश कर चुके सुधीर मिश्रा ने कहा कि चूंकि सिनेमा और विश्व सिनेमा के बारे में चौहान की जानकारी सीमित है, वह एफटीआईआई के मामलों को देखने के लिए फिट नहीं हैं। मिश्रा ने कहा, वह कैंटीन के प्रभारी नहीं हैं। उन्हें नई दिशा की तरफ संकाय और छात्रों का मार्ग दर्शन करना है जिधर सिनेमा जा सकता है। इस काम के लिए कोई बुनियादी योग्यता होनी चाहिए। मैं समझता हूं कि यह एक महान संस्थान है, एक शानदार जगह है जिसने फिल्म उद्योग को बहुत कुछ दिया।