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पूरा संसार भारत की विविधता देख चकित रहता हैः महेश शर्मा

उत्तर-पूर्व की कला को प्रोन्नत करना हमारा मुख्य दायित्व है। यह उद्गार राष्ट्रीय आदिवासी और उत्तर-पूर्व कला सम्मिलन का मुख्यअत‌िथि के रूप शुभारम्भ करते हुए संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने व्यक्त किए। ललित कला अकादेमी द्वारा रवीन्द्र भवन परिसर के मेघदूत मुक्ताकाशी थिएटर में आयोजित सम्मिलन में उन्होंने कहा कि पूरा संसार भारत की विविधता को देखकर आश्चर्य करता है।
पूरा संसार भारत की विविधता देख चकित रहता  हैः महेश शर्मा

       संस्कृति मंत्री ने आयोजन पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, नाना संस्कृतियों, बिरादरियों, भाषाओं तथा जातियों के इस देश की बहुलता सबको चकित करती है। हमें अपनी कलाओं को विकसित कर इन्हें पूरी दुनिया में ले जाना है। कलाकारों को सम्मान और प्रोत्साहन देना हमारा धर्म है। उत्तर-पूर्व की कला और संस्कृति की हमें हर स्तर  पर रक्षा करनी है और उसे विकसित करना है।

 सम्मानीय अतिथि, प्रसिद्ध मूर्तिकार राम वी. सुतार ने कलाकारों को शुभकामनाएँ दीं और उन्हें ऐसे सुन्दर फूलों की संज्ञा दी जिससे उपवन सजा रहता है।  भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के निदेशक अमरेन्द्र खटुआ ने कहा कि वे आयोजन से बहुत खुश हैं और अकादेमी के साथ मिलकर इन कलाओं को दुनिया-भर में पहुँचाना चाहते हैं। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में अकादेमी के प्रशासक  सी.एस. कृष्णा सेट्टि ने इस वृहद आयोजन पर सन्तोष जताया अपने छह महीने के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाईं। उन्होंने  इस अवधि में अकादेमी द्वारा देश-भर में किए आयोजनों और कला संबंधी प्रकाशन की चर्चा की। उन्होंने कहा कि अकादेमी कलाओं को प्रोन्नत करने और उसे जन-जन तक पहुँचाने को कृत संकल्प है।  

   अतिथियों का स्वागत अकादेमी के प्रभारी सचिव सिद्धार्थ घोष और उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापन उपसचिव  एम. रामचन्द्रन  किया। इस दो दिवसीय आयोजन के पहले दिन का अवसान  राजस्थानी लोक गायकों की स्वरलहरियों की गूंज के साथ  हुआ। विभिन्न आदिवासी शैलियों और उत्तर-पूर्व की कला-प्रविधियों में सौ से अधिक कलाकारों की शिरकत के सथि कल शुरू हुआ यह आयोजन तीन अप्रैल तक चलेगा। 

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