ये खनिज शिराएं मेड़ों के जाल सा प्रतीत होती हैं जो अब भी खड़ी हैं, लेकिन जिस तल-शिला पर उनका निर्माण हुआ था वह करीब-करीब खत्म हो चुकी है। मेड़ें आम तौर पर तकरीबन ढाई इंच ऊंची और करीब सवा इंच मोटी हैं। उनमें चमकीले और धूसर दोनों तरह के पदार्थ हैं।
टेनेसी युनिवर्सिटी में क्युरियोसिटी विज्ञान दल की सदस्य लिंडा काह ने बताया उनमें (मेड़ों में) से कुछ आईसक्रीम सैंडविच की तरह दिखती हैं - दोनों सिरों पर स्याह और बीच में सफेद। लिंडा ने बताया, ये पदार्थ हमें मेजबान चट्टान के निर्माण के बाद क्षेत्र से बहे सहायक द्रवों के बारे में बताते हैं। इस तरह की शिराएं तब बनती हैं जब द्रव चट्टान की दरारों से बहते हैं और वहां खनिज जमा करते हैं। इससे दरारों के आस-पास चट्टान की रासायनिक संरचना प्रभावित होती है।
क्युरियोसिटी ने वहां चमकीली शिराएं पाईं हैं जो कैल्शियम सल्फेट की बनी हैं। यहां जमा काले पदार्थ इसके बारे में जानने का अवसर प्रदान करते हैं। लिंडा ने कहा, कम से कम दो सहायक द्रवों ने यहां सबूत छोड़े हैं। हम विभिन्न द्रवों का रसायनशास्त्र समझना चाहते हैं जो यहां थे और घटनाक्रम जानना चाहते हैं। कैसे बाद के द्रवों ने मेजबान चट्टान को प्रभावित किया?
क्युरियोसिटी 2012 में जहां उतरा था, उसके निकट कभी एक झील थी। झील की तल के पत्थर कीचड़ से बने हैं। यह कीचड़ माउंट शार्प तक पहुंचते-पहुंचते जरूर सूख गई होंगी और उनमें दरार बनने से पहले वह सख्त हो गई होंगी। दरारों की दीवार में जो स्याह पदार्थ जमा हैं, वे द्रव के शुरुआती प्रवाह को दिखाते हैं। कैल्शियम सल्फेट बहुत सफेद पदार्थ वाली शिराएं बाद के द्रव के प्रवाह से बनी हैं।