वाशिंगटन में सेंटर फाॅर पब्लिक इंटिग्रिटी में काम करने वाले पत्रकार एडियन लेवी ने अपनी रिपोर्ट में भारत के परमाणु प्रतिष्ठान पर गंभीर आरोप लगाये हैं। भारत के परमाणु कार्यक्रमों के नए प्रमुख और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक शेखर बसु ने उनके आरोपों का जवाब दिया है।। पेश हैं जाने-माने विज्ञान लेखक पल्लव बाग्ला को दिए साक्षात्कार के कुछ अंश:
प्र: परमाणु प्रतिष्ठान के खिलाफ एडियन लेवी के आरोपों में कितनी सच्चाई है?
बसु: मैं इन्हें आरोपों की तरह नहीं देखता हूं। उन्होंने किसी के द्वारा किसी जगह पर कही गई किसी बात के आधार पर एक रिपोर्ट लिखी है, जिसे उन्हाेंने अपने संज्ञान में रखा है। यह एक वैज्ञानिक दस्तावेज नहीं है और न ही यह तथ्यों पर आधारित है, बल्कि यह कुछ लोगों की टिप्पणियों पर आधारित है। मैं इन्हें आरोपों की तरह नहीं देखता हूं। हम लोगों की नजर में यह एक बहुत अच्छी तरह डिजाइन किया हुआ एजेंडा है, वैसे लोगों के लिए जो हमारे देश के विकास को रोकने या अटकाने के लिए उन्हें धन मुहैया करा रहे हैं।
प्र: आपकी नजर में कौन लेवी को समर्थन दे रहा है या भारतीय परमाणु कार्यक्रम को रोकने का प्रयास कर रहा है?
बसु: निश्चित तौर पर मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि कोई भारतीय अपने देश के कार्यक्रम में व्यवधान पैदा नहीं करेगा। यह दूसरे देश का कोई हो सकता है जो यह सोचता है कि भारत को हमेशा गरीब और गरीबी से ग्रस्त एवं अंधेरे में रहना चाहिए। इसी तरह के लोग एेसा कर रहे हैं।
प्र: लेवी ने कहा है कि जादुगुडा में जहां भारत की अपनी यूरेनियम खान हैं, उनमें रिसाव है और इस कारण बहुत अधिक रेडियोधर्मिता होती है तथा लोग इससे पीड़ित हैं। आपने निश्चित तौर पर कई बार उस इलाके का दौरा किया होगा, आपका अनुभव कैसा है?
बसु: उन्होंने जो कहा है, वह कुछ तथ्यों पर आधारित है जिसे पहले किसी ने प्रकाशित किया है। उनको निश्चित तौर पर यह जानना चाहिए कि इस बात को एक न्यायाधीश ने स्वत: संज्ञान में लिया था जिसका हम लोगों ने उत्तर दिया था। विवरण उपलब्ध हैं और वह उत्तर को देख सकते हैं कि इस संदर्भ में बात की जानी चाहिए या नहीं।
संक्षिप्त में कहूं, न्यायाधीश ने हम लोगों को एक समिति गठित करने के लिए कहा और समिति की रिपोर्ट का निष्कर्ष यह था कि कुछ भी नया नहीं हुआ, कोई नई तरह की बीमारी पैदा नहीं हुई यहां तक कि बीमार पड़ने वाले लोगों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ।
अगर आप वहां जाते हैं, मैं सभी अन्य समुदायों से आग्रह करता हूं कि वे वहां जाएं और देखें कि यह सच है या नहीं। बच्चे अपने स्कूलों या काॅलेजों में खुशी से घूम रहे हैं। यह एेसा इलाका है जहां गरीबी है और इस कारण से वहां कुपोषण और अन्य समस्याएं हैं।
प्र: इसका मतलब है कि आप कह रहे हैं कि भारत के जादुगुडा यूरेनियम खान से रेडियोधर्मी पदार्थाें का रिसाव नहीं होता है। आपकी बात का निष्कर्ष यही है न?
बसु: किसी तरह का रिसाव कैसे होगा, यूरेनियम वहां मिट्टी में है, आप उसमें से यूरेनियम ले रहे हैं, उसका कम हिस्सा या अधिकांश हिस्सा। अगर इस चीज को लेकर इतनी चिंता रहती तो हम लोग पूरा यूरेनियम बाहर निकाल लेते।
इसे रिसाव क्यों कहते हैं, यह किसी रिएक्टर या किसी पुन: प्रसंस्करण संयंत्र से रिसाव नहीं है? एक खान में क्या रिसाव है जो संभव है? टेलिंग पाॅन्ड से जुड़ा हुआ एक मुद्दा है और यह दुनिया में सबसे सुरक्षित पाॅन्ड में से एक है। यह सब तरफ से पहाडि़यों से घिरा हुआ है, यह एक अच्छा बाड़ा है ताकि लोग प्रवेश न कर पाएं।
प्र: लेवी ने यह भी कहा है कि भारत के परमाणु रिएक्टरों से रेडियोधर्मी पदार्थां का रिसाव होता है, वे काम नहीं करते हैं यहां तक कि कुडनकुलम पिछले छह महीने से काम नहीं कर रहा है, इसलिए वह कह रहे हैं कि हमारे परमाणु कार्यक्रम में दिक्कत है। क्या आपको लगता है कि वे असुरक्षित हैं?
बसु: मैं इस सवाल का उत्तर दो हिस्सों में देना चाहूंगा। कुडनकुलम दुनिया के सबसे अच्छे और सबसे सुरक्षित रिएक्टरों में शुमार है। दूसरा, हमारे आॅपरेटर दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं। लोग यह कहकर हमारा मजाक उड़ाते हैं कि हम लोग पीएचडी लोगों को आॅपरेटर रखते हैं, हम लोग उन्हें इस प्रकार का प्रशिक्षण देते हैं।
रिसाव का सवाल कहां है? हमारे यहां उस तरह की कोई घटना अब तक नहीं हुई है। जापान के फुकुशिमा जैसी घटना हमारे यहां कभी नहीं होगी। हमारी चीजों पर ध्यान दिया जाता है। फुकुशिमा की घटना के बाद अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी यानी आईएईए के महानिदेशक समेत जो लोग भी आए और यहां तक कि तारापुर रिएक्टर भी गए, उन्होंने पाया कि यह रिएक्टर भी सबसे सुरक्षित रिएक्टरों में से एक है।
प्र: कुडनकुलम रिएक्टर के फिर से शुरू होने की संभावना कब से है?
बसु: मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि अगले महीने के आखिर में (जनवरी 2016) कुडनकुलम रियेक्टर को हम ग्रिड से जोड़ लेंगे।
प्र: लेवी ने यह भी कहा है कि हम लोग हाइड्रोजन बम बनाने के लिए कर्नाटक में कहीं पर गुप्त परमाणु शहर बना रहे हैं? इसमें कोई तथ्य है और क्या सच में यह गुप्त है?
बसु: जहां तक इस गुप्त बम का सवाल है मुझे नहीं पता कि यह गुप्त बम क्या है? हां सैद्धांतिक रूप से बम बनाने के लिए यूरेनियम का प्रयोग किया जा सकता है लेकिन किसी को यूरेनियम से बम बनाना चाहिए, इस बारे में भी मुझे नहीं मालूम। देखिये हम लोगों को हमारे संयंत्राें को यूरेनियम की आपूर्ति करनी है। मेरी नजर में यह सब कुछ हमारे कार्यक्रम को धीमा करने के लिए किया जा रहा है। इस तरह की चीजों का कोई आशय नहीं है।